मछली पकड़ने समुद्र में गए थे भारतीय मछुआरे, श्रीलंका ने 12 को कर लिया अरेस्ट, नाव भी जब्त
AajTak
श्रीलंका की नौसेना ने एक दर्जन भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया है. आरोप है कि वे श्रीलंकाई अधिकार क्षेत्र में प्रवेश कर गए थे. मछुआरे पाल्क स्ट्रेट के आसपास थे जब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. 2023 में पड़ोसी देश की नौसेना ने 240 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया था.
श्रीलंका की नौसेना ने एक बार फिर कई भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया है. आरोप है कि वे श्रीलंकाई अधिकार क्षेत्र में प्रवेश कर गए थे. 12 मछुआरों के साथ पड़ोसी देश की नौसेना ने उनकी तीन नौकाओं को भी जब्त कर लिया है. घटना शनिवार की है जब भारतीय मछुआरे मछली पकड़ने के लिए श्रीलंकाई तट की तरफ गए थे.
बताया जा रहा है कि आगे की कार्रवाई के लिए उन्हें कांकेसंतुरई बंदरगाह ले जाया गया है. भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों का मुद्दा एक बड़ा मसला है. श्रीलंकाई नौसेना ना सिर्फ भारतीय मछुआरों को पकड़ती है, बल्कि उनपर गोलीबारी भी करती है. पाल्क स्ट्रेट के आसपास इस तरह की घटनाएं आम हैं, जहां लंकाई नौसेना मछुआरों को पकड़ने के साथ उनकी नौकाओं को भी जब्त कर लेती है.
कहां पकड़ लिए जाते हैं भारतीय मछुआरे?
पाल्क स्ट्रेट श्रीलंका और तमिलनाडु को अलग करने वाली एक पतली पट्टी है, जो दोनों देशों के मछुआरों के लिए मछली पकड़ने का हॉटस्पॉट माना जाता है. पहले भी ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें श्रीलंकाई नौसैनिकों ने भारतीय मछुआरों पर गोलियां बरसाईं, उन्हें गिरफ्तार किया और उनकी नौकाएं जब्त कर लीं.
2023 में श्रीलंकाई नौसेना ने 240 मछुआरों को किया अरेस्ट
श्रीलंका अपने अधिकार क्षेत्र वाले पानी में मछली पकड़ने को अवैध मानता है और इसलिए वे मछुआरों पर कार्रवाई करते हैं. बीते साल 2023 में श्रीलंका की नौसेना ने कमोबेश 240 भारतीय मछुआरों को पकड़ लिया था. इनके अलावा उनकी कम से कम 34 ट्रॉलर को जब्त भी कर लिया.
एग्जिट पोल का अनुमान बताता है कि बीजेपी और महायुति को जितनी सीटों पर जीतने की उम्मीद थी, वो पूरी होती नहीं दिख रही है. एग्जिट पोल में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी को 20-22, कांग्रेस को 3-4, शिवसेना (ठाकरे गुट) को 9-11, शिवसेना (शिंदे गुट) को 8-10, एनसीपी (शरद पवार) को 4-5 और एनसीपी (अजित पवार) को 1-2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.
तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने पिछले महीने एक मीटिंग में अधिकारियों से हैदराबाद में लेक व्यू सरकारी गेस्ट हाउस जैसी इमारतों को 2 जून के बाद अपने कब्जे में लेने का निर्देश दिया था, जिन्हें 10 साल की अवधि के लिए आंध्र प्रदेश को दिया गया था. विभाजन के दौरान हैदराबाद को दस साल के लए दोनों राज्यों की राजधानी बनाई गई थी.