
मंडल-कमंडल की जंग में खोए वोटबैंक पर नजर... OBC वोटों को लेकर राहुल गांधी की टीस की असली कहानी ये है
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कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान राहुल गांधी की ओबीसी वोटबैंक को लेकर टीस खुलकर बाहर आ गई. राहुल गांधी ने कहा कि हम दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण में उलझे रहे और इस बीच ओबीसी हमारे साथ से दूर हो गया. इस टीस के पीछे वजह क्या है?
गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन चल रहा है. अधिवेशन के पहले कांग्रेस कार्य समिति की बैठक थी जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटबैंक की भी बात हुई. लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि हम दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण में उलझे रहे और इस बीच ओबीसी हमारे साथ से दूर हो गया. सवाल उठ रहे हैं कि ओबीसी वोटबैंक को लेकर राहुल गांधी का दर्द क्यों छलका? सवाल ये भी है कि कैसे मंडल-कमंडल की राजनीति ने कांग्रेस से उसका कोर वोटबैंक छीन लिया?
क्यों छलका राहुल का दर्द
ओबीसी वोटबैंक को लेकर राहुल गांधी का दर्द जो छलका है, वह बेवजह नहीं है. आजादी के बाद जब कांग्रेस को लगभग अपराजेय माना जाता था, तब भी पार्टी का वोट बेस दलित, मुस्लिम और सवर्ण ही था. इन वर्गों में कांग्रेस का समर्थन ओबीसी के मुकाबले कहीं अधिक था. मंडल कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक देश की कुल आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 52 फीसदी है. कांग्रेस को कभी इस वर्ग से भी अच्छा समर्थन मिलता रहा लेकिन मंडल-कमंडल के बाद बदले डायनेमिक्स और अब राष्ट्रीय राजनीति में नरेंद्र मोदी के उभार के बाद ओबीसी वोटबैंक में ग्रैंड ओल्ड पार्टी का जनाधार सिकुड़ता चला गया.
आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं. सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी (सीएसडीएस) के एक आंकड़े के मुताबिक 1971 के आम चुनाव में कांग्रेस को ओबीसी वर्ग में 37 फीसदी समर्थन मिला था. इसी चुनाव में एससी वर्ग के बीच कांग्रेस का समर्थन अनुसूचित जाति (एससी) में 46 और अनुसूचित जनजाति (एसटी) में 48 फीसदी था. मंडल-कमंडल की राजनीति के दौर में वोटों का समीकरण बदला और कांग्रेस का हार्डकोर वोटर रहे सवर्ण कमंडल पॉलिटिक्स के दौर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर शिफ्ट हो गए. मंडल पॉलिटिक्स में ओबीसी वर्ग के बीच अलग-अलग दलों की पैठ और अधिक मजबूत होती गई.
मंडल-कमंडल की जंग में कांग्रेस से छिटका कोर वोटर
साल 1990 भारतीय राजनीति में बदलाव की बयार लेकर आया जिसका सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस को ही उठाना पड़ा. वीपी सिंह की अगुवाई वाली जनता दल की गठबंधन सरकार ने जनता पार्टी की सरकार के समय गठित वीपी मंडल आयोग की सिफारिशें लागू कर दी थीं जिसमें ओबीसी के लिए सरकारी नौकरियों में 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था. तब कांग्रेस खुलकर इसके विरोध में थी और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने लोकसभा में इसके विरोध में लंबा भाषण भी दिया था जिसे आधार बनाकर बीजेपी आज भी कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने का कोई मौका नहीं चूकती.

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