
'भाषा सेतु होनी चाहिए, युद्ध का कारण नहीं', स्टालिन पर भड़के जयंत चौधरी
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लेकर तमिलनाडु सरकार द्वारा हिंदी थोपे जाने का आरोप लगाने पर अब शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने राज्य के मुख्यमंत्री स्टालिन पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा, भाषा सेतु होनी चाहिए, युद्ध का कारण नहीं! केंद्रीय मंत्री ने तमिलनाडु के सीएम के उस बयान की भी आलोचना की है जिसमें उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से युद्ध के लिए तैयार रहने का बयान दिया था.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लेकर तमिलनाडु सरकार द्वारा हिंदी थोपे जाने का आरोप लगाने पर अब शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने राज्य के मुख्यमंत्री स्टालिन पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा, भाषा सेतु होनी चाहिए, युद्ध का कारण नहीं!. केंद्रीय मंत्री ने तमिलनाडु के सीएम के उस बयान की भी आलोचना की है जिसमें उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से युद्ध के लिए तैयार रहने का बयान दिया था.
'भाषा सेतु होनी चाहिए, युद्ध का कारण नहीं', स्टालिन पर भड़के जयंत चौधरी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लेकर केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है. स्टालिन केंद्र सरकार पर शिक्षा का राजनीतिकरण करने का आरोप लगा रहे हैं. स्टालिन ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा था- 'युद्ध के लिए तैयार रहें". उनके इस बयान पर जयंत चौधरी ने उनपर तीखा पलटवार किया है.
तमिलनाडु बनाम केंद्र
राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के नेता और शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने स्टालिन को सीधे निशाने पर लेते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पूछा- माननीय मुख्यमंत्री स्टालिन, आप कितनी भाषाएं बोल और समझ सकते हैं? निस्संदेह, बहुभाषावाद ने आपकी सफलता में भूमिका निभाई होगी, फिर तमिलनाडु के युवाओं को इसी अवसर से क्यों वंचित किया जाए? NEP पर बहस सिर्फ हिंदी और तमिल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की भाषाई पहचान, सांस्कृतिक विविधता और शिक्षा नीति के भविष्य से जुड़ा बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.
जयंत चौधरी ने NEP 2020 के सेक्शन 4.13 का हवाला देते हुए कहा कि बहुभाषी फॉर्मूला भाषाई विविधता को मजबूत करने और राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने के लिए है, न कि किसी भाषा को थोपने के लिए. भाषा सेतु होनी चाहिए, युद्ध का कारण नहीं! स्टालिन को दोबारा टैग कर जयंत चौधरी ने लिखा– मुख्यमंत्री स्टालिन ने अब तक जवाब नहीं दिया, लेकिन मैं जानता हूं कि वो 3-4 भाषाएं बोल सकते हैं. दक्षिण भारत के कई महान नेता डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, एचडी देवेगौड़ा, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, पीवी नरसिम्हा राव और केआर नारायणन बहुभाषी थे, फिर तमिलनाडु की नई पीढ़ी को इस लाभ से वंचित क्यों रखा जाए?

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