
भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच कनाडा में ही घिरे ट्रूडो, खुद की पार्टी के सांसद ने मांग लिया इस्तीफा
AajTak
लिबरल सांसद सीन केसी ने खुलकर ट्रूडो के इस्तीफे की मांग की है. सीबीसी न्यूज नेटवर्क के शो पावर एंड पॉलिटिक्स पर बात करते हुए, प्रिंस एडवर्ड आइलैंड के चार्लोटटाउन से सांसद सीन केसी ने कहा है कि मुझे अपने निर्वाचन क्षेत्र से स्पष्ट और मजबूत संदेश मिल रहा है कि अब ट्रूडो के जाने का समय आ गया है.
भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक तनाव जारी है. इस बीच कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से उनकी ही लिबरल पार्टी के सांसद ने इस्तीफा मांग लिया है. अब कनाडा में भी ट्रूडो के नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं.
लिबरल सांसद सीन केसी ने खुलकर ट्रूडो के इस्तीफे की मांग की है. सीबीसी न्यूज नेटवर्क के शो पावर एंड पॉलिटिक्स पर बात करते हुए, प्रिंस एडवर्ड आइलैंड के चार्लोटटाउन से सांसद सीन केसी ने कहा है कि मुझे अपने निर्वाचन क्षेत्र से स्पष्ट और मजबूत संदेश मिल रहा है कि अब ट्रूडो के जाने का समय आ गया है, और मैं इससे सहमत हूं.'
भारत-कनाडा संबंधों पर असर
जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे की मांग तब उठ रही है जब कनाडा भारत के साथ कूटनीतिक संघर्ष का सामना कर रहा है. खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत सरकार पर लगाए गए आरोपों ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है. भारत ने इन आरोपों को सख्ती से नकारा है और इसके जवाब में भारत ने कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है वहीं अपने राजनयिकों को भी बुला लिया है, जिससे तनाव और गहरा गया है.
ट्रूडो के नेतृत्व पर उठ रहे सवाल
भारत कनाडा के विवाद के बीच ट्रूडो का नेतृत्व घरेलू मोर्चे पर भी संकट में है. मॉन्ट्रियल क्षेत्र के सांसद एंथनी हाउसफादर ने भी ट्रूडो के नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं. एंथनी हाउसफादर ने ट्रूडो को पार्टी का नेतृत्व जारी रखना चाहिए या नहीं इस मुद्दे पर पार्टी के अंदर चर्चा करने के लिए कहा है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.






