
भारत-अमेरिका में होगी डील?.. लेकिन किसानों को सता रहा ये डर, तगड़ा होगा नुकसान!
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भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील जल्द होने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन भारतीय किसानोंं को मक्के की फसल को लेकर डर सता रहा है. कुछ जगहों पर मक्के की कीमत भी MSP प्राइस से नीचे आ चुकी हैं.
चर्चा है कि भारत और अमेरिका के बीच बहुत जल्द डील होने वाली है. इस डील के साथ ही अटकलें यह भी लगाई जा रही हैं कि भारत व्यापार समझौते के दौरान अमेरिकी मक्का आयात से टैरिफ कम कर सकता है, जिसका मतलब है कि अमेरिकी मक्के का आयात भारत में बढ़ जाएगा. बस इसी चीज को लेकर भारतीय किसान परेशान हैं.
किसानों को डर है कि मुनाफा तो दूर की बात है, वे अपने मक्के के लागत को भी वसूल नहीं पाएंगे. इस चिंता के कारण मक्के की कीमत MSP से नीचे आ चुकी हैं यानी मक्का 600 रुपये से भी नीचे बिक रहा है.
घाटे में मक्का बेच रहे किसान रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर व्यापार समझौता हो जाता है और अमेरिकी मक्का भारतीय बाजार में आना शुरू हो जाता है, तो कीमतें गिर सकती हैं और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. जिन किसानों को कभी मक्का के जरिए 'एनर्जी प्रोवाइडर' बनने का सपना दिखाया गया था, वे अब घाटे में मक्का बेचने को मजबूर हैं. गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर अमेरिका विश्व का लगभग 35% मक्का उत्पादित करता है, जबकि भारत का हिस्सा लगभग 3% है.
मक्के की कीमतें MSP से नीचे फिलहाल मक्के का एमएसपी 2,400 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 15 से 23 अक्टूबर के बीच औसत बाजार मूल्य घटकर 1,823.53 रुपये रह गया. सरकारी अनुमानों के अनुसार, A2+FL फॉर्मूले के तहत मक्का उत्पादन पर किसान 1,508 रुपये प्रति क्विंटल खर्च करते हैं.
स्वामीनाथन आयोग के C2 फॉर्मूले के अनुसार कैलकुलेशन करने पर यह खर्च बढ़कर 1,952 रुपये प्रति क्विंटल हो जाता है. इसका मतलब है कि कई किसान अपनी उपज लागत से कम कीमत पर फसल बेच रहे हैं.
मध्य प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित मक्के की कीमतें सबसे कम मध्य प्रदेश में हैं. वहां किसानों को औसतन 1552.49 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिला. कुछ मंडियों में तो कीमतें और भी गिर गई हैं. देवास जिले की खातेगांव मंडी में भाव 1,196.5 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया, जबकि सीहोर की नसरुल्लागंज मंडी में भाव सिर्फ 1121 रुपये रहा, जो MSP का बमुश्किल आधा है.













