बीजेपी को कर्नाटक में जेडीएस की बैसाखी की जरूरत क्यों पड़ रही है?
AajTak
कर्नाटक में बीजेपी सत्ता भले गवां चुकी हो, लेकिन 2024 के लोक सभा चुनाव में कोई खतरे वाली बात नहीं लगती. 2014 और 2019 में बीजेपी के प्रदर्शन सबूत हैं. जेडीएस का एनडीए में आना बीजेपी को मजबूती देगा, और और फायदा तो पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को भी होगा ही.
बीजेपी और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस का एनडीए में शामिल होना तो चार महीने पहले ही फाइनल हो गया था, बस सीटों को लेकर बातचीत होनी थी - और गठबंधन को औपचारिक रूप देना भर बाकी था.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात में सारी चीजें पक्का करने की कोशिश हो रही है. 2006 के बाद से ये दूसरी बार है जब बीजेपी और जेडीएस साथ आये हैं. इससे पहले जेडीएस और कांग्रेस मिल कर गठबंधन सरकार चला चुके हैं, लेकिन 2019 में एचडी कुमारस्वामी की सरकार बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा के ऑपरेशन लोटस के शिकार हो गई थी - 4 साल बाद कुमारस्वामी गिले शिकवे भुला कर फिर से बीजेपी के साथ गठबंधन की राजनीति के लिए तैयार हो गये हैं.
2023 के विधानसभा चुनाव की बात और है, लेकिन जेडीएस का बीजेपी के साथ आना कर्नाटक में सत्ताधारी कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. असल में बीजेपी को जेडीएस की मदद की उन इलाकों में ही जरूरत है, जहां वो कमजोर पड़ रही है.
बीते दो लोक सभा चुनावों की बात करें, 2014 और 2019, तो कर्नाटक की सत्ता में न होने के बाद भी लोक सभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन कांग्रेस से बेहतर रहा है - 2019 में बीजेपी ने कर्नाटक की 28 में से 25 सीटें अकेले ही जीत ली थी.
कर्नाटक को बीजेपी के लिए दक्षिण का द्वार माना जाता रहा है. ऐसे में जबकि देश की राजनीति में दक्षिण और उत्तर की राजनीति चरम पर है, कर्नाटक अब बीजेपी के लिए दक्षिण का रास्ता आसान कर सकता है.
बीजेपी-जेडीएस गठबंधन क्यों?
aajtak e-चुनाव के सर्वे में करीब सवा लाख लोगों ने हिस्सा लिया. इनमें से लगभग 73% लोगों ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को लगातार तीसरी बार सत्ता में देखने की इच्छा जताई जबकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक को लगभग 23% वोट मिले. करीब 4 फीसदी वोट अन्य को मिले. अगर इन वोटों को सीटों में बांट दिया जाए तो एनडीए को 397 सीटें मिलने का अनुमान है.