बारिश से 'पानी-पानी' हुए दिल्ली-गुरुग्राम, आखिर इन शहरों का क्यों हुआ ऐसा हाल
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पिछले दो दिनों से हो रही बारिश ने पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक कहर बरपाया है. हर तरफ सड़कों पर जलभराव है. दिल्ली और गुरुग्राम जैसे हाइटेक शहरों में भी स्थिति बदतर है. सड़कों पर गड्ढे और पानी का सैलाब है. आखिर हर साल इन शहरों में क्यों स्थिति ऐसी ही रहती है. ये सवाल हर बार उठता है.
दो दिन की बारिश में दिल्ली का हाल बेहाल है. आलम ये है कि जगह-जगह सड़कों पर जलभराव है. वहीं सड़कों में गड्ढे हो गए हैं और लोग अपने घरों में बंद हो गए हैं. इससे दिल्ली के बाजारों को भी बहुत नुक़सान हुआ है. खराब सीवर व्यवस्था होने से सड़कों पर कई फीट पानी भरा और देखते ही देखते पानी दुकानों में भी चला गया, जिससे दुकानों में रखा सामान खराब हो गया है. वहीं यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं.
राजधानी में विधायी हक के लिए दिल्ली और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में हैं लेकिन दो दिनों की बारिश के बाद हालात इतने बदतर हुए तो जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है. दुनियाभर में दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस और खान मार्किट जैसे इलाकों में भी सड़कों पर सैलाब नजर आ रहा है. एक आंकड़े के मुताबिक दिल्ली का इंफ्रा 50 मिमी से ज्यादा बारिश नहीं झेल सकता और दो दिनों में हुई 155 मिमी बारिश से पूरी दिल्ली में चौतरफा सैलाब जैसा मंज़र छा गया है.
लुटियंस दिल्ली और सेंट्रल जोन का ड्रेनेज सिस्टम ब्रिटिश कालीन है. कम बारिश होने पर पीडब्लूडी, एमसीडी जलबोर्ड और फ्लड विभाग जून जुलाई के आसपास नाले साफ करवाते हैं और मॉनसून की तैयारियां करते हैं. लेकिन इधर बारिश का पैटर्न बहुत तेज़ी से बदला और अब मॉनसून ही नहीं, गर्मी-सर्दी के मौसम में भी बारिश होने पर भयंकर जलजमाव दिल्ली को प्रभावित करने लगा है.
शहरी मामलों के जानकार जगदीश ममगाई का कहना है कि दिल्ली की सीवरेज और पाइपलाइन लगभग 6 इंच की औसतन थी. कहीं जायदा या कम. लेकिन अधिकतर पाइपलाइन पुरानी हो चुकी हैं, डैमेज होने पर रिपेयर होती हैं.
दिल्ली में क्यों होता है जलभराव?
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