
बाबा का 'चमत्कार', मौत का तांडव और 40 पुलिसवालों के जिम्मे 2.5 लाख लोग... क्या हाथरस कांड में अब हो रही लीपापोती?
AajTak
हाथरस हादसे के बाद बाबा नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा उर्फ सूरजपाल जाटव तो रहस्यमयी तरीके से गायब हो गया, लेकिन अब सवाल यही है कि क्या इस हादसे को रोका जा सकता था?
Hathras Stampede Case Update: चालीस पुलिसवाले, दो एंबुलेंस, एक डॉक्टर और चंद सरकारी अफसर.. बस गिनती के इन्हीं चंद लोगों पर कंधों पर थी ढ़ाई लाख लोगों की भीड़ की जिम्मेदारी. हाथरस हादसे में जिन 130 लोगों की जान चली गई, उनमें से बहुत सारे लोगों को बचाया जा सकता था. अगर वक्त पर उन्हें ऑक्सीजन मिल जाती, लेकिन जहां डॉक्टर ही एक हो, वहां ऑक्सीजन और इलाज दूर की बात है. आइए आपको बताते हैं हाथरस हादसे की तीन बड़ी गलतियां.
टाला जा सकता था हादसा हाथरस हादसे के बाद बाबा नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा उर्फ सूरजपाल जाटव तो रहस्यमयी तरीके से अंतर्ध्यान हो गया, लेकिन अब सवाल यही है कि क्या इस हादसे को रोका जा सकता था? अगर शासन-प्रशासन ने वक़्त रहते सत्संग के इंतज़ामों का मुआयना किया होता, तो क्या भीड़ को कंट्रोल किया जा सकता था? क्या भगदड़ और भगदड़ में हुई सौ से ज्यादा मौतों को टाला जा सकता था? तो इन सारे सवालों का जवाब हां में हैं. बशर्ते शासन-प्रशासन सजग होता.
घनघोर लापरवाही की तरफ इशारा अब सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो नहीं होना चाहिए था और आखिर ऐसा क्या नहीं हुआ जो प्रशासन को करना चाहिए था? तो सत्संग वाली जगह के इर्द-गिर्द यानी हाथरस और आस-पास के जिलों की पुलिस और मेडिकल व्यवस्था पर एक निगाह डालने भर से सारी की सारी कहानी साफ हो जाती है. और ये कहानी घनघोर लापरवाही की तरफ इशारा करती है.
जानलेवा गलती नंबर-1- भक्तों की तादाद को लेकर बेखबर प्रशासन सूत्र बताते हैं कि बाबा नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल के इस सत्संग की तैयारी करीब 15 दिनों से चल रही थी. सिकंदराराऊ के गांव फुलरई को सत्संग स्थल के तौर पर चुना गया था और यहां सत्संग के लिए 27 जून से ही यूपी के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और दूसरे राज्यों से भक्तों का आना शुरू हो गया था. लोग बसों में लद-फद कर यहां पहुंच रहे थे. और सत्संग शुरू होने से कुछ रोज़ पहले ही करीब 500 सौ बसें यहां पहंच चुकी थी. जिनमें आए भक्त टेंपोररी टेंट में या फिर बसों के नीचे सो रहे थे. लेकिन शासन-प्रशासन ने इतनी बड़ी भीड़ और इन तैयारियों को देख कर भी अनदेखा कर दिया. नतीजा ये हुआ कि एकाएक जब 2 जुलाई को सत्संग स्थल पर ढाई लाख लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई, तो इतनी बड़ी भीड़ को संभालने के लिए शासन-प्रशासन की ओर से वहां कोई इंतज़ाम नहीं था.
इस मोर्चे पर नाकाम साबित हुआ प्रशासन सरकार ने पहले ही साफ किया कि आयोजकों ने इस सत्संग में करीब 80 हज़ार लोगों के आने की बात कही थी और प्रशासन ने इसके लिए इजाजत भी दी थी. लेकिन प्रशासन का काम सिर्फ इजाजत देना भर नहीं होता, ये देखना और निगरानी भी करना होता है कि जितनी भीड़ की बात कही जा रही है, क्या वाकई उतने ही लोग सत्संग के लिए मौके पर पहुंचे हैं या फिर तादाद कहीं ज्यादा बढ़ रही है. तो प्रशासन इस मोर्चे पर बिल्कुल फेल्योर साबित हुआ. ऐसा नहीं है कि लोकल इंटेलिजेंस यूनिट यानी एलआईयू को इस बात की कोई खबर नहीं थी. बल्कि खबर तो ये है कि एलआईयू ने इस संभावित भीड़ को लेकर प्रशासन को पहले ही आगाह कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद जिला प्रशासन ने इस भीड़ को नियंत्रित करने का कोई असरदार इंतजाम नहीं किया.
जानलेवा गलती नंबर-2 - सिर्फ 40 पुलिस वालों के जिम्मे 2.5 लाख लोग! अब सत्संग वाली जगह पर हुई पुलिस तैनाती को समझिए. आपको सारी बात समझ में आ जाएगी. सत्संग में करीब ढाई लाख लोग पहुंचे थे. और जानते हैं उन्हें संभालने के लिए जिला प्रशासन ने कितने पुलिसवालों को तैनात किया था? तो सुनिए... सिर्फ चालीस. जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना ढाई लाख लोगों की देख-रेख और हिफाजत के लिए सिर्फ चालीस पुलिस वाले. यानी हर 6250 लोगों पर सिर्फ एक पुलिस वाला. अब ज़रा सोचिए कि क्या एक पुलिसवाला इतने लोगों की भीड़ को संभाल सकता है? जाहिर है ये मामला ऊंट के मुंह में ज़ीरा वाला ही है. फर्ज कीजिए यहां ढाई लाख लोग नहीं सिर्फ 80 हज़ार लोग ही आए होते, जैसा कि आयोजकों ने जिला प्रशासन से कहा था, तो भी चालीस पुलिस वालों के हिसाब से हर पुलिस वालों पर दो हज़ार लोगों को संभालने की जिम्मेदारी होती, जो एक नामुमकिन सी बात है.

लोकसभा में शुक्रवार को कई प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए गए, जिनमें सुप्रिया सुले का राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025 शामिल है, जो कर्मचारियों को ऑफिस समय के बाद काम से जुड़े कॉल और ईमेल से मुक्त रहने का अधिकार देने का प्रस्ताव करता है. कांग्रेस सांसद कडियम काव्या का मेनस्ट्रुअल बेनिफिट्स बिल, 2024 और लोजपा सांसद शंभवी चौधरी का बिल महिलाओं और छात्राओं के लिए पेड पीरियड लीव सुनिश्चित करने पर केंद्रित है.

दिल्ली के टिकरी कलां में एक किराना दुकान में आग लगने से पति-पत्नी की दम घुटने से मौत हो गई. दुकान के अंदर धुआं भरने के बीच करंट लगने के कारण शटर नहीं खुल पाया और दोनों बाहर नहीं निकल सके. पुलिस ने बताया कि आग शॉप काउंटर में शॉर्ट सर्किट से लगी, जिससे प्लास्टिक सामग्री ने आग पकड़ ली और धुआं तेजी से फैल गया. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

इंडिगो संचालन संकट के कारण कई उड़ानें रद्द होने और क्षमता घटने से अचानक बढ़े किरायों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने घरेलू उड़ानों पर अधिकतम किराया सीमा लागू कर दी है, जिसके तहत 500 किमी तक 7,500 रुपये, 500–1000 किमी के लिए 12,000 रुपये, 1000–1500 किमी के लिए 15,000 रुपये और 1500 किमी से अधिक दूरी के लिए 18,000 रुपये से ज्यादा किराया नहीं लिया जा सकेगा.

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इंडिगो को निर्देश दिया है कि सभी लंबित रिफंड 7 दिसंबर रात 8 बजे तक बिना देरी पूरी तरह लौटा दिए जाएं और रद्द हुई उड़ानों से प्रभावित यात्रियों से कोई री-शेड्यूलिंग शुल्क न लिया जाए. मंत्रालय ने स्पेशल पैसेंजर सपोर्ट और रिफंड सेल बनाने, प्रभावित यात्रियों से खुद संपर्क करने और ऑटोमेटिक रिफंड सिस्टम जारी रखने को कहा है.

श्रीनगर इन दिनों एक ब्लैक बियर से परेशान है. कभी NIT कैंपस, कभी कश्मीर यूनिवर्सिटी, तो कभी SKIMS... अब यह भालू निगीन झील के आसपास घूमता दिखा है. विभाग ने शहरभर में बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू किया है, जिसमें ड्रोन, ट्रैंक्विलाइजर गन, रैपिड-रिस्पॉन्स टीमें और एंबुलेंस तैनात हैं. अधिकारियों ने कहा है कि बाहर केवल जरूरत होने पर ही निकलें.

इंडिगो के ऑपरेशनल संकट का असर 6 दिसंबर को भी खत्म नहीं हुआ. देश के कई बड़े एयरपोट्स पर आज सैकड़ों उड़ानें रद्द कर दी गईं, जिससे हजारों यात्री परेशान देखे गए. कई एयरपोर्ट पर यात्रियों को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ा. कुछ जगह इंडिगो के काउंटर्स पर सहयोग ना करने की शिकायतें सामने आईं. कंपनी लगातार शेड्यूल में बड़े बदलाव कर रही है. अब तक 11 बड़े एयरपोर्ट्स पर कुल 571 फ्लाइट्स रद्द हो चुकी हैं.

हरियाणा में चार मासूमों के सीरियल मर्डर केस ने झकझोर कर रख दिया है. खूबसूरती से जलन, रिश्तेदारों की बच्चियों और अपने ही तीन साल के बेटे तक को पानी में डुबोकर मारने वाली साइको किलर पूनम अब उसी गांव की जेल में है, जहां वह पली-बढ़ी. गिरफ्तारी के बाद से पूनम जेल की बैरक में बेचैनी है. न ठीक से नींद आ रही, ना खाना निगल पा रही है.

टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर के बाबरी मस्जिद जैसे डिजाइन में मस्जिद निर्माण के फैसले ने पश्चिम बंगाल में जोरदार घमासान खड़ा कर दिया है. BJP ने आरोप लगाया है कि यह कदम लोगों को धार्मिक आधार पर बांटने के लिए उठाया जा रहा है. वहीं TMC ने इसे बेबुनियाद करार दिया और दावा किया कि कबीर BJP के इशारे पर अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.

दिल्ली के संगम विहार इलाके में मामूली विवाद के चलते दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ स्टूडेंट की चाकू मारकर हत्या कर दी गई. मृतक की पहचान 27 साल के इरशाद के रूप में हुई है, जिसे परिजन गंभीर हालत में अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. परिवार वालों के आरोप पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया है और एक नाबालिग समेत दो आरोपियों को हिरासत में लिया गया है.

केरल के कोल्लम में निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 66 का हिस्सा धंसने से चार गाड़ियां फंसी हैं. यह घटना राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है. कांग्रेस ने इस हादसे का वीडियो जारी कर के राज्य सरकार पर कड़ी कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि यह राजमार्ग एक टाइम बम की तरह है, जो कभी भी और कहीं भी टूट सकता है, जिससे राजमार्ग पर यात्रा करने वाले लोगों की जान को खतरा होगा.

इंडिगो संकट के बीच देशभर में कई रूटों पर अचानक बढ़े हवाई किरायों को लेकर यात्रियों की नाराजगी बढ़ गई थी. अब केंद्र सरकार ने खुद दखल देते हुए एअरलाइंस की मनमानी रोकने के लिए सख्त कदम उठा लिया है. विमान किराए की बढ़ोतरी पर रोक लगा दी. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सभी एअरलाइंस को निर्देश जारी किए हैं. सरकार ने कहा है कि तय सीमा से ज्यादा किराया ना लिया जाए.


