फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से सीतापुर केस में बेल लेकिन नहीं आ सकेंगे जेल से बाहर
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फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी. याचिका में जुबैर की ओर से कहा गया था कि उन्हें इंटरनेट पर जान से मारने की धमकी दी जा रही है. याचिका में जुबैर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उन्होंने एक ट्वीट के लिए दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया था.
फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सीतापुर में दर्ज मामले में मोहम्मद जुबैर को पांच दिन की जमानत दे दी. बता दें कि मोहम्मद जुबैर फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे. जुबैर दिल्ली पुलिस के न्यायिक हिरासत में रहेंगे.
शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने यूपी सरकार और पुलिस को नोटिस जारी करते हुए कहा कि जुबैर को शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी जा रही है. जुबैर न्यायिक क्षेत्र से बाहर नहीं जा पाएंगे. साथ ही मामले में फैसला होने तक जुबैर कोई ट्वीट नहीं करेंगे. उधर, तुषार मेहता ने गुजारिश की कि अंतरिम आदेश को सोमवार तक टाल दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया.
फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने अपनी जान को खतरा बताते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. याचिका में जुबैर ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 13 जून को जुबैर की एक रिट याचिका खारिज कर दी थी.
जुबैर की ओर से सीनियर वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि यूपी पुलिस की ओर से उनके मुवक्किल के खिलाफ दर्ज FIR से पता चलता है कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है. गोंजाल्विस ने कहा कि उनका काम समाचारों को सत्यापित करना है, और वह नफरत फैलाने वाले भाषणों की तथ्य-जांच करने की भूमिका निभा रहे थे. हम इलाहाबाद हाईकोर्ट गए, लेकिन कोई राहत नहीं मिली.
बता दें कि जुबैर के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप है. जुबैर को 27 जून को दिल्ली पुलिस ने एक हिंदू भगवान के खिलाफ 2018 में पोस्ट किए गए एक भड़काऊ ट्वीट से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार किया था. 1 जून को उत्तर प्रदेश पुलिस ने जुबैर के खिलाफ हिंदू संतों के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए एक और प्राथमिकी दर्ज की थी.
सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने की सुनवाई
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