
पूर्व SEBI चीफ माधबी पुरी बुच की मुश्किलें बढ़ीं, कोर्ट ने दिए FIR दर्ज करने के निर्देश
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शिकायत में आरोप लगाया गया है कि SEBI अधिकारियों ने ऐसी कंपनी को लिस्टिंग की इजाजत दी, जो नियामक मानकों को पूरा नहीं करती थी, जिससे बाजार में हेरफेर हुआ और निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा. इसमें SEBI और कॉर्पोरेट संस्थाओं के बीच मिलीभगत, इनसाइडर ट्रेडिंग और लिस्टिंग के बाद सार्वजनिक धन की हेराफेरी का भी आरोप है.
मुंबई की स्पेशल एंटी-करप्शन कोर्ट ने शनिवार को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच समेत SEBI और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ कथित स्टॉक मार्केट घोटाले और नियामक उल्लंघनों के मामले में FIR दर्ज करने का आदेश दिया है.
विशेष न्यायाधीश एसई बंगर ने ये आदेश ठाणे के पत्रकार सपन श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका पर दिया. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि एक कंपनी की लिस्टिंग के दौरान बड़े पैमाने पर वित्तीय घोटाला और भ्रष्टाचार हुआ, जिसमें SEBI के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है.
शिकायतकर्ता का आरोप है कि SEBI अधिकारियों ने अपनी कानूनी जिम्मेदारी का पालन नहीं किया, बाजार में हेरफेर की अनुमति दी और ऐसी कंपनी को लिस्टिंग की मंजूरी दी, जो तय मानकों को पूरा नहीं करती थी.
ये भी पढ़ें- कौन हैं तुहिन कांत पांडेय? SEBI के होंगे नए चेयरमैन, जानिए कितनी मिलेगी सैलरीये आरोप लगाए गए हैं शिकायत में शिकायत में आरोप लगाया गया है कि SEBI अधिकारियों ने ऐसी कंपनी को लिस्टिंग की इजाजत दी, जो नियामक मानकों को पूरा नहीं करती थी, जिससे बाजार में हेरफेर हुआ और निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा. इसमें SEBI और कॉर्पोरेट संस्थाओं के बीच मिलीभगत, इनसाइडर ट्रेडिंग और लिस्टिंग के बाद सार्वजनिक धन की हेराफेरी का भी आरोप है.
इन लोगों को बनाया गया पक्ष
शिकायत में जिन लोगों को पक्ष बनाया गया है, उनमें पूर्व SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच, पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया, आनंद नारायण जी और कमलेश चंद्र वर्श्नेय, BSE के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल और सीईओ सुंदररमन राममूर्ति शामिल हैं. हालांकि, सुनवाई के दौरान इनमें से कोई भी अदालत में पेश नहीं हुआ.













