
पाकिस्तान से 24 साल पहले भारत आया शख्स जासूसी केस में गिरफ्तार, मिल चुकी थी भारतीय नागरिकता
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पाकिस्तान से आए जिस शख्स को जासूसी के आरोप में गुजरात एटीएस ने गिरफ्तार किया है, उसे 2006 में नागरिकता मिल गई. इसके बाद वह 2022 की शुरुआत में अपने माता-पिता से मिलने पाकिस्तान गया. कथित तौर पर वहां वीजा प्रक्रिया और अपने माता-पिता के घर पर डेढ़ महीने रहने के दौरान उसका ब्रेनवाश किया गया.
गुजरात एटीएस ने तारापुर से एक पाकिस्तानी जासूसी एजेंट को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार के बाद राज उगलवाने के लिए उससे पूछताछ की जा रही है. पुलिस के मुताबिक आरोपी लाभसंकर माहेश्वरी मूल रूप से पाकिस्तानी हिंदू है. जो फर्टिलिटी इलाज के लिए अपनी पत्नी के साथ 1999 में भारत आया था. शुरुआत में वह तारापुर में अपने ससुराल में रहा. उसने वहां कई दुकानें खोलीं और उसका अच्छा खासा कारोबार हो गया.
भारत में लाभसंकर 2006 में नागरिकता मिल गई. इसके बाद वह 2022 की शुरुआत में अपने माता-पिता से मिलने पाकिस्तान गया. कथित तौर पर वहां वीजा प्रक्रिया और अपने माता-पिता के घर पर डेढ़ महीने रहने के दौरान उसका ब्रेनवाश किया गया. तभी से वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी से संपर्क में है.
पुलिस ने यह भी बताया कि व्हाट्सएप अकाउंट बनाने के बाद आरोपी ने सिम कार्ड पाकिस्तान भेजा था और इसके बदले उसे पैसा मिला था. एमआई, गुजरात एटीएस और एयर एयरफोर्स इंटेलीजेंस इसे अपनी बड़ी कामयाबी मान रही है.
पुलिस के मुताबिक एक व्हाट्सएप नंबर के जरिए सुरक्षा बलों के जवानों के एंड्रॉइड मोबाइल हैंडसेट में 15 अगस्त के पहले हर घर तिरंगा अभियान के नाम पर 'apk' एंड्रॉइड एप्लिकेशन डाउनलोड करने का मैसेज आया था. इसके अलावा उन नंबरों पर आर्मी स्कूलों के अफसर बनकर ये भी मैसेज किया गया कि अभी लोग अपने बच्चे के साथ राष्ट्रीय ध्वज की तस्वीर अपलोड करें.
जांच में पता चला की आरोपी लाभसंकर महेश्वरी ने ये भारतीय नंबर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को उपलब्ध कराया कराया था. आरोपी के मोबाइल की फोरेंसिक जांच से पता चला की इस वॉट्स एप नंबर का इस्तेमाल पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लोग कर रहे थे और सुरक्षा में तैनात जवानों के मोबाइल से खुफिया जानकारियां हासिल करने के लिए उनके मोबाइल को हैक कर रहे थे.
ये भी शक है कि पाकिस्तानी एजेंसी आर्मी पब्लिक स्कूल (एपीएस) की वेबसाइट या एंड्रॉइड एप्लिकेशन 'डिजीकैंप्स' जिसका उपयोग फीस जमा करने के लिए किया जाता है. उसके जरिए एपीएस के छात्रों और उनके अभिभावकों से जुड़ी जानकारी हासिल करने में कामयाब रही है. एपीएस वे स्कूल हैं, जो भारतीय सेना के सहयोग से एक निजी संस्था आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी (AWES) के अंतर्गत आते हैं.

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