
पाकिस्तान से साठगांठ, ISI की बढ़ती एक्टिविटी, कैसे बांग्लादेश फिर से भारत के लिए सिरदर्द बन सकता है?
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बांग्लादेश आर्मी के एक अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एसएम कमरुल हसन रावलपिंडी दौरे पर थे. उनकी आगवानी में पाकिस्तान बिछ ही गया. एक मेज पर जिन्ना की तस्वीर थी. इसके एक ओर बांग्लादेश का झंडा था दूसरी ओर पाकिस्तान का. जिस पाकिस्तानी आर्मी ने 1975 की बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में बांग्लादेशियों को रौंद दिया था. उसी पाकिस्तान आर्मी ने बांग्लादेश को अपना 'भातृ राष्ट्र' बताया.
बांग्लादेश-पाकिस्तान के रिश्तों पर नजर डालें तो ये दो दूरस्थ 'पड़ोसियों' का संबंध तनावपूर्ण रहा है. दूरस्थ इसलिए क्योंकि ढाका से इस्लामाबाद की हवाई दूरी 2000 किलोमीटर से भी ज्यादा है और पड़ोसी इसलिए क्योंकि बांग्लादेश कभी पाकिस्तान का हिस्सा था. लेकिन 1975 में भारत की वजह से बांग्ला आंदोलन फलीभूत हुआ और बांग्लादेश एक आजाद मुल्क बना. अब बांग्लादेश दक्षिण एशिया में पाकिस्तान का पड़ोसी जैसा ही है.
अगस्त 2024 से पहले तक इन दोनों देशों के बीच कोई खास रिश्ते नहीं थे. लेकिन 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना की सत्ता से विदाई और बांग्लादेश की कथित 'क्रांति' के बाद अचानक ढाका का प्यार पाकिस्तान के लिए उमड़ पड़ा है. पाकिस्तान की सेना और कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई तो इसी मौके की तलाश में थी. ढाका अब पाकिस्तान को न सिर्फ पुचकार रहा है बल्कि भारत के खिलाफ उकसा भी रहा है.
कुछ ही दिन पहले बांग्लादेश सेना के एक अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एसएम कमरुल हसन रावलपिंडी दौरे पर थे. उनकी आगवानी में पाकिस्तान बिछ ही गया. एक मेज पर जिन्ना की तस्वीर थी. इसके एक ओर बांग्लादेश का झंडा था दूसरी ओर पाकिस्तान का. पाकि्स्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर ने जनरल एसएम कमरुल हसन से मुलाकात की.
जिस पाकिस्तानी आर्मी ने 1975 की बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में बांग्लादेशियों को रौंद दिया था. उसी पाकिस्तान आर्मी ने बांग्लादेश को अपना 'भातृ राष्ट्र' बताया.
अब दौरों की सीरीज में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के सीनियर अफसरों की टीम बांग्लादेश आई है.
आईएसआई प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व महानिदेशक (विश्लेषण) और चीन में पूर्व रक्षा अधिकारी मेजर जनरल शाहिद आमिर अफसर कर रहे हैं. दो ब्रिगेडियर, आलम आमिर अवान और मुहम्मद उस्मान जतीफ भी बांग्लादेश आने वाले आईएसआई प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं.

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