
पश्चिम बंगालः सांसद अर्जुन सिंह ने क्यों छोड़ा BJP का दामन, TMC को होगा ये फायदा!
AajTak
सांसद अर्जुन सिंह ने TMC का दामन थाम लिया है. इसके बाद माना जा रहा है कि बैरकपुर सीट टीएमसी के लिए सुरक्षित हो गई है. जबकि बीजेपी को अर्जुन सिंह के जाने से उत्तर 24 परगना में जबरदस्त झटका लग सकता है.
बैरकपुर सीट से सांसद अर्जुन सिंह ने बीजेपी छोड़कर अपने पुराने घर TMC में वापसी कर ली है. हालांकि इसे लेकर अटकलें तो कई महीनों से लगनी शुरू हो गई थीं, जब अर्जुन सिंह ने जूट उद्योग को लेकर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल पर निशाना साधा था. साथ ही ममता बनर्जी की तारीफ शुरू कर दी थी.अब एक सवाल ये भी है कि अर्जुन सिंह ने किन वजहों से पार्टी छोड़ी. बीजेपी को इससे क्या नुकसान होगा और टीएमसी को क्या फायदा हुआ. इसकी तह में कई बातें हैं.
बता दें कि अर्जुन सिंह की बीजेपी से नाराज़गी की शुरुआत पिछले साल जुलाई में शुरू हो गई थी, जब पार्टी ने निशीथ प्रमाणिक और शांतनु ठाकुर को केंद्र में मंत्री बनाया था. सूत्रों की मानें तो अर्जुन सिंह केंद्र में मंत्री बनाए जाने को लेकर काफी आश्वस्त थे और बंगाल में बीजेपी के कई नेताओं को यकीन था कि अर्जुन सिंह को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी. लेकिन अर्जुन सिंह को मंत्रिमंडल में जगह तो नहीं मिली, बल्कि बंगाल में भी पार्टी के कामों में अर्जुन का महत्व धीरे-धीरे कम होने लगा. साथ ही पिछले कई महीनों में अर्जुन सिंह के खिलाफ बंगाल पुलिस ने कई मामले दर्ज कर लिए.
बैरकपुर के दिग्गज नेता अर्जुन सिंह के खिलाफ उनके ही इलाके में TMC ने मुश्किलें पैदा करना शुरू कर दिया था. इसके बाद TMC और अर्जुन सिंह के बीच दोबारा संपर्क स्थापित होने लगा. लिहाजा अर्जुन ने भी घर वापसी की कोशिश शुरू कर दी.
TMC को क्या फायदा और बीजेपी को क्या नुकसान?
अर्जुन सिंह के टीएमसी में शामिल होने के बाद बैरकपुर लोकसभा सीट तृणमूल कांग्रेस के लिए सुरक्षित हो गई है. पिछले लोकसभा चुनाव में अर्जुन सिंह बैरकपुर से चुनाव जीते थे, इस इलाके में जूट मिल वर्कर का बहुत बड़ा वोट बैंक हैं, जिसका बड़ा हिस्सा अर्जुन सिंह के पक्ष में है. ऐसे में अर्जुन सिंह अगर 2024 में बैरकपुर सीट से TMC के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं, तो उनकी जीत तय मानी जा रही है.
इसके अलावा अर्जुन सिंह के TMC से जुड़ने पर सिर्फ बैरकपुर ही नहीं, बल्कि उत्तर 24 परगना में भी भी TMC की स्थिति मजबूत होती दिख रही है. वहीं अर्जुन सिंह के जाने से भाजपा को उत्तर 24 परगना में जबरदस्त झटका लग सकता है. खास तौर पर भाजपा के हिंदीभाषी वोटर्स अर्जुन सिंह के साथ टीएमसी में वापस चले जाएंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति को रूसी भाषा में भगवद गीता का एक विशेष संस्करण भेंट किया है. इससे पहले, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति को भी गीता का संस्करण दिया जा चुका है. यह भेंट भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को साझा करने का प्रतीक है, जो विश्व के नेताओं के बीच मित्रता और सम्मान को दर्शाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कई अनोखे और खास तोहफे भेंट किए हैं. इनमें असम की प्रसिद्ध ब्लैक टी, सुंदर सिल्वर का टी सेट, सिल्वर होर्स, मार्बल से बना चेस सेट, कश्मीरी केसर और श्रीमद्भगवदगीता की रूसी भाषा में एक प्रति शामिल है. इन विशेष तोहफों के जरिए भारत और रूस के बीच गहरे संबंधों को दर्शाया गया है.

चीनी सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उन बयानों को प्रमुखता दी, जिनमें उन्होंने भारत और चीन को रूस का सबसे करीबी दोस्त बताया है. पुतिन ने कहा कि रूस को दोनों देशों के आपसी रिश्तों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं. चीन ने पुतिन की भारत यात्रा पर अब तक आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वह नतीजों पर नजर रखे हुए है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार रात डिनर का आयोजन किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस डिनर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं दिया गया. इसके बावजूद कांग्रेस के सांसद शशि थरूर को बुलाया गया.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.







