
पशुपति पारस, LJP साथ... फिर भी बीजेपी को क्यों है चिराग पासवान की जरूरत?
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बिहार में बीजेपी की नजर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान पर है. चिराग के पास न तो पिता की बनाई पार्टी रही और ना ही उसका बंगला निशान. अपनी पार्टी में वही एकमात्र सांसद भी हैं, फिर भी बीजेपी को बिहार में चिराग की जरूरत क्यों है?
देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं. लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दल गठबंधन की गांठें दूर करने के साथ ही संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने की कवायद में जुटे हैं. विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद चल रही है तो वहीं सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी अपने नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का कुनबा बढ़ाने में जुटी है.
महाराष्ट्र में अजित पवार को साथ लाने के बाद बीजेपी की नजर अब अपने पुराने सहयोगियों को फिर से साथ लाने पर है. 18 जुलाई को नई दिल्ली में एनडीए की बैठक होनी है और इससे पहले बिहार में सियासी हलचल बढ़ गई है. बिहार की राजधानी पटना में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान से मुलाकात की है.
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता नित्यानंद राय पटना में उस समय मिलने पहुंचे, जब एलजेपीआर के नेताओं की बैठक होनी थी. चिराग ने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक के बाद कहा कि बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर लंबे समय से बात चल रही है. अभी एक-दो दौर की बातचीत और होनी है. उन्होंने ये भी कहा कि पार्टी के नेताओं ने गठबंधन को लेकर कोई भी फैसला लेने के लिए उनको अधिकृत कर दिया है.
बिहार में तेजी से बदल रहे समीकरण
चिराग के इस बयान के बाद यह माना जा रहा है कि बीजेपी और और एलजेपीआर के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत काफी आगे तक जा चुकी है. चिराग गठबंधन की बात कह रहे हैं. वहीं, कुछ दिनों पहले तक नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन में शामिल रही हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतनराम मांझी भी 2024 का चुनाव एनडीए के साथ लड़ने की बात कह चुके हैं. नीतीश कुमार की जेडीयू से नाता तोड़कर राष्ट्रीय लोक जनता दल (आरएलजेडी) बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा भी फिर से एनडीए में वापसी के संकेत दे चुके हैं. चिराग, मांझी और उपेंद्र कुशवाहा, तीनों ही बीजेपी के साथ एनडीए में कभी शामिल रहे हैं.
चिराग बीजेपी के लिए क्यों जरूरी?

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