
'नया पाकिस्तान' बनाने वाले इमरान खान की कुर्सी खतरे में कैसे आई? जानें क्रिकेटर से देश की सत्ता तक का सफर
AajTak
Pakistan Imran Khan: पाकिस्तान में राजनीतिक संकट गहरा गया है. प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी खतरे में आ गई है. विपक्ष उनके खिलाफ एकजुट हो गया है और दावा कर रहा है कि इमरान ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे.
Pakistan Imran Khan: 'नया पाकिस्तान' का वादा कर सत्ता में आए इमरान खान की कुर्सी खतरे में है. विपक्ष उनके खिलाफ एकजुट हो गया है और उन्हें कुर्सी से हटाना चाहता है. पाकिस्तान की संसद नेशनल असेंबली में इमरान के खिलाफ विपक्षी सांसद अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं. विपक्ष दावा कर रहा है कि इमरान खान अब ज्यादा लंबे समय तक प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे.
पाकिस्तान के अब तक के इतिहास में ये पहली बार नहीं है जब किसी प्रधानमंत्री की कुर्सी खतरे में है. पाकिस्तान का इतिहास बताता है कि वहां अब तक जितने भी प्रधानमंत्री बने हैं, उनमें से एक भी अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. अब इतिहास एक बार फिर दोहराता हुआ दिख रहा है. इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) में भी बगावत हो गई है और दो दर्जन सांसद अपने ही नेता के खिलाफ हो गए हैं.
लेकिन ऐसे हालात क्यों?
- 2018 में जब पाकिस्तान में आम चुनाव हो रहे थे, तब क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान 'नया पाकिस्तान' बनाने का वादा लेकर आए. उन्होंने युवाओं को एकजुट किया और वादा किया कि वो एक ऐसा पाकिस्तान बनाना चाहते हैं जिसके साथ कमजोर से कमजोर देश भी खड़ा हो सके.
- लेकिन बदलाव लाने की बात करने वाले इमरान खान पाकिस्तान को विकास के रास्ते पर नहीं ले जा सके. इमरान के रहते पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह बिगड़ती गई. यहां के लोगों ने वो दिन भी देखे हैं जब महंगाई चरम पर थी और लोगों के लिए बुनियादी जरूरतों की चीजें खरीदना भी मुश्किल हो रहा था.
- इतना ही नहीं, इमरान के कार्यकाल में पाकिस्तान दुनियाभर में अलग-थलग भी पड़ गया. इमरान अपने अब तक के कार्यकाल में कश्मीर, कर्ज और चीन में ही फंसे रहे. इमरान कश्मीर का मुद्दा उठाते रहे, लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी. आर्थिक संकट से निकालने के लिए कर्ज लिया लेकिन उसने और हालात बिगाड़ दिए. चीन से मजबूत रिश्तों ने पाकिस्तान को अलग-थलग सा कर दिया.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.






