
नई पार्टी, हर गांव का दौरा और सभी 8500 पंचायतों के लिए विकास का ब्लू प्रिंट... पीके की सियासी लॉन्चिंग का प्लान क्या है?
AajTak
पीके पिछले दो साल से जन सुराज पदयात्रा पर हैं और अब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर 2 अक्टूबर को जन सुराज पार्टी की सियासत में एंट्री का औपचारिक ऐलान करने वाले हैं. पीके का अपनी पार्टी की सियासी लॉन्चिंग को लेकर प्लान क्या है?
चुनाव रणनीतिकार से सियासत के मैदान में आए प्रशांत किशोर (पीके) अब अपनी पार्टी लॉन्च करने को तैयार हैं. पीके पिछले दो साल से जन सुराज पदयात्रा पर हैं और अब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर 2 अक्टूबर को जन सुराज पार्टी की सियासत में एंट्री का औपचारिक ऐलान करने वाले हैं. नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल (यूनाइटेड) के जरिये बतौर उपाध्यक्ष छोटी ही सही, सियासी पारी खेल चुके पीके का अपनी पार्टी की सियासी लॉन्चिंग को लेकर प्लान क्या है?
1- अलग तरह की पार्टी का संदेश
पीके ने जब से जन सुराज को सियासी पार्टी बनाने का ऐलान किया है, वह लगातार ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि यह दल सभी पार्टियों से अलग होगा. पीके इसके लिए प्रबुद्ध वर्ग के लोगों को पार्टी से जोड़ रहे हैं, पूर्व नौकरशाह से लेकर समाजसेवी तक, समाज के प्रभावशाली लोगों को जन सुराज से जोड़ा गया और पार्टी का सदस्यता अभियान निरंतर चल भी रहा है.
2- राइट टू रिकॉल की बात
प्रशांत किशोर उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने की स्थिति में जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार यानी राइट टू रिकॉल की भी बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि इसे लेकर टिकट देते समय ही उम्मीदवारों से सहमति का शपथ पत्र ले लिया जाएगा. राइट टू रिकॉल कैसे लागू करेंगे? पीके ने इसे लेकर भी जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि संबंधित विधानसभा क्षेत्र के एक तिहाई पार्टी कार्यकर्ता विधायक के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं. अविश्वास प्रस्ताव वोटिंग के जरिये पारित हो जाता है तो संबंधित विधायक को सदस्यता से इस्तीफा देना होगा.
यह भी पढ़ें: साथ काम किया... JDU जॉइन की, फिर क्यों हो गए नीतीश के विरोधी? प्रशांत किशोर ने दिया ये जवाब

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.

देश की किफायत विमानन कंपनी इंडिगो का ऑपरेशनल संकट जारी है. इंडिगो को पायलट्स के लिए आए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को लागू करने में भारी दिक्कत आ रही है. इस बीच आज इंडिगो की 1000 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो गई है, जिस पर कंपनी के सीईओ का पहला बयान सामने आया है. इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने इंडिगो ऑपरेशनल संकट पर पहली बार बयान देते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से विमानन कंपनी के कामकाज में दिक्कतें आ रही हैं. कंपनी का कामकाज पांच दिसंबर को सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. आज 100 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हुई हैं.

संसद के शीतकालीन सत्र में 8 और 9 दिसंबर 2025 को राष्ट्रगीत वंदे मातरम् पर दोनों सदनों में विशेष चर्चा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री इस चर्चा को संबोधित करेंगे. चर्चा का उद्देश्य वंदे मातरम् के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान प्रासंगिकता को उजागर करना है.

भारत-रूस बिजनेस फोरम में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निर्धारित किया है. राष्ट्रपति पुतिन के साथ चर्चा में यह स्पष्ट हुआ कि व्यापार लक्ष्य समय से पहले पूरा किया जाएगा. कई क्षेत्रों जैसे लॉजिस्टिक्स, कनेक्टिविटी, मरीन प्रोडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा, और टेक्सटाइल में सहयोग को आगे बढ़ाया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर के 711 अग्निवीर आज भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं. श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर में इन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद ये अग्निवीर देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात होंगे. इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत हुई है.

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुक्रवार को अपने एक साल का सफर तय कर लिया है. संयोग से इस समय महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, जिसे लेकर त्रिमूर्ति गठबंधन के तीनों प्रमुखों के बीच सियासी टसल जारी है. ऐसे में सबसे ज्यादा चुनौती एकनाथ शिंदे के साथ उन्हें बीजेपी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे से भी अपने नेताओं को बचाए रखने की है.






