
धार्मिक नाम और चिह्न का इस्तेमाल करने वाली पार्टियों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस
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सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने वाली राजनीतिक पार्टियों को लेकर कड़ा रुख अख्तियार किया है. इस संबंध में अदालत ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है. जितेंद्र नारायण त्यागी (वसीम रिजवी) की याचिका पर अदालत ने ये नोटिस जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) धार्मिक नाम और प्रतीक वाले चुनाव चिह्नों का इस्तेमाल करने वाली राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई करने को तैयार हो गया है. इस संबंध में अदालत में एक याचिका दायर की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.
इस संबंध में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र और चुनाव आयोग (Election Commission) को नोटिस जारी कर उनसे चार हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.
धर्म परिवर्तन कर जितेंद्र नारायण त्यागी बने सैयद वसीम रिजवी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए हैं. याचिका में कहा गया है कि धार्मिक नाम या चिह्नों का इस्तेमाल करने वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राजनीतिक पार्टियों को भी पक्षकार बनाने की इजाज़त दी.
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया ने सवाल करते हुए कहा कि क्या राजनीतिक पार्टियां धार्मिक नाम का इस्तेमाल कर सकती हैं?
गौरव भाटिया ने कहा कि कई राजनीतिक पार्टियां धार्मिक नाम और चिह्नों का इस्तेमाल करती हैं. उनके झंडों और प्रतीकों में यह झलकता है. यह कानून के खिलाफ है. यह सीधे तौर से मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के उल्लंघन का मामला है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये याचिका स्वीकार कर ली है और अब मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.

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