दो कत्ल, तीन कातिल और पांच थ्योरी... फिर भी अनसुलझी है अतीक-अशरफ की मर्डर मिस्ट्री
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माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को पुलिस अभिरक्षा के बीच मारने वाले शूटर सन्नी सिंह, लवलेश और अरुण मौर्य का नाम और चेहरा अब सभी लोग जान चुके हैं. यही वो तीन चेहरे थे, जिन्होंने 15 अप्रैल को 17 पुलिसवालों के घेरे में घुसकर अतीक और अशरफ का काम तमाम कर दिया था. इसके साथ ही कुछ सवाल हैं, जो लगातार हर तरफ पूछे जा रहे हैं.
अतीक और अशरफ की मौत पर सवाल मसलन, आखिर इन तीनों ने ऐसा क्यों किया? किसके इशारे पर किया? अकेले किया? किसी की आड़ में किया? किसी के बहकावे में किया? किसी से सुपारी लेकर किया? या किसी का मोहरा बन कर किया? तो चलिए मीडिया और सोशल मीडिया के अलावा लोगों के मन में कत्ल की वजह और कत्ल की साजिश को लेकर जितने भी सवाल उठ रहे हैं, उन सवालों के जवाब सबूतों, दलीलों और तथ्यों के आधार पर ढूंढने की कोशिश करते हैं.
जांच के पांच पहलू अतीक और अशरफ की मौत को लेकर यूपी सरकार पहले ही दो-दो जांच टीम बना चुकी है. एक न्यायिक जांच टीम और दूसरी एसआईटी की जांच टीम. दोनों ही जांच टीम के सामने शुरुआती पांच ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब में ही अतीक और अशरफ की मौत का सच छुपा है. जांच के पांच बिंदुओं में पहला है- मोटिव यानी मकसद. दूसरा हथियार. तीसरा तीनों आरोपियों का बैकग्राउंड. चौथा तीनों आरोपियों के बीच का कॉमन फैक्टर और पांचवां साजिश के पर्दे के पीछे छुपा असली चेहरा यानी वो चौथा कौन? अब चलिए इन्हीं पांच बिंदुओं को सामने रख उन पांच थ्योरी पर बात करते हैं, जो अतीक और अशरफ की मौत से जोड़ी जा रही हैं. अतीक और अशरफ की मौत को लेकर अब तक कुल पांच थ्योरी सामने आई हैं.
पहली थ्योरी - नाम और शोहरत कमाने के लिए कत्ल पुलिस हिरासत में अतीक और अशरफ की हत्या के बाद यूपी पुलिस की तरफ से हत्या की जो पहली वजह बताई गई, वो यही थी. बकौल पुलिस सनी, लवलेश और अरुण ने अतीक और अशरफ को सिर्फ इसलिए गोली मारी, क्योंकि वो मशहूर होना चाहते थे. बहुत मुमकिन है कि तीनों ने मशहूर होने के लिए ही अतीक और अशरफ को मार डाला. मगर इस थ्योरी को कुछ बातें कमजोर कर देती हैं.
मसलन, गोली चलाने के बाद तीनों ने सिर्फ एक नारा लगाया था. तीनों में से किसी ने भी अपना नाम या पता चीख कर नहीं बताया. अगर तीनों को सचमुच मशहूर होना था और उसी के लिए ये काम किया, तो अपने नाम का प्रचार भी करते. मगर ऐसा ना कर उन्होंने एक धार्मिक नारा लगाया. इससे साफ पता चलता है कि वो नाम कमाने की बजाय इस हत्याकांड को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे थे.
थ्योरी की कमज़ोर कड़ी लेकिन इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की थ्योरी भी एक जगह आकर रुक जाती है. वजह ये है कि इन तीनों में से एक लवलेश को छोड़ कर बाकी दोनों का किसी ऐसे कट्टरपंथी संगठन से कभी कोई जुड़ाव नहीं रहा. ऐसे में सन्नी और अरुण लवलेश के रास्ते पर क्यों चलेंगे? अब ऐसे में सवाल है कि फिर गोली चलाने के बाद आरोपियों ने धार्मिक नारा क्यों लगाया? तो बहुत मुमकिन है उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि मौके पर मौजूद लोगों से सहानुभूति हासिल कर सकें. वैसे भी अतीक और अशरफ को लेकर पूरे प्रयागराज में वकीलों से लेकर आमजन तक हर कोई गुस्से में ही था.
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