
दुश्मन को धूल चटाने में माहिर हैं इजरायली सेना की ये 4 खतरनाक यूनिट, दुनिया भी मानती है लोहा
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हमास और इजरायल की लड़ाई में इजरायली डिफेंस फोर्सेस की कई यूनिट्स का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है. वीरता की मिसाल इजरायल के चार यूनिट्स हमास के साथ लड़ाई में मोर्चा संभाले हुए हैं. इन यूनिट्स के जवानों को हर परिस्थिति में अपने ऑपरेशन को अंजाम देने की महारत हासिल है.
इजरायल और हमास के बीच बड़े पैमाने पर जंग छिड़ी हुई है. इस लड़ाई में इजरायल ने फिलिस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास के खात्मे की कसम खा ली है. इजरायल ने हमास के नियंत्रण वाले गाजा को पूरी तरह से घेर लिया है और जमकर गोलीबारी कर रहा है. इजरायली सेना गाजा में घुसकर हमास के लड़ाकों पर हमले की भी तैयारी कर चुका है. इस दौरान इजरायली सेना की चार यूनिट्स के बारे में खूब सुनने को मिल रहा है. इजरायल की ये चार यूनिट्स- सायरेत मतकल (Sayeret Matkal), शायतेत 13 (Shayetet 13), यूनिट 669 और यहालोम (Yahalom) बेहद खतरनाक माने जाते हैं.
सायरेत मतकल के सामने टिक नहीं पाते दुश्मन
इजरायली सेना की प्रीमियर स्पेशल यूनिट सायरेत मतकल का लोहा पूरी दुनिया मानती है और इसे बेहद खतरनाक माना जाता है. इस यूनिट के योद्धा इजरायल के बाहर जाकर बंधकों को छुड़ाने में माहिर होते हैं. हमास ने कम से कम 200 इजरायली नागरिकों को बंधक बनाया है और उन्हें अपने नियंत्रण वाले गाजा पट्टी में रखा है. इन बंधकों को छुड़ाने की जिम्मेदारी भी सायरेत मतकल को दी गई है. यह यूनिट देश में भी बंधकों को छुड़ाने का काम करती है.
1957 में स्थापित सायरेत मतकल के योद्धाओं ने इजरायल की तरफ से शुरू किए गए लगभग हर बड़े आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन का नेतृत्व किया है या उसमें अहम भूमिका निभाई है. युद्ध के दौरान सायरेत मतकल को सबसे जोखिम भरी खुफिया जानकारी जमा करने और टोही अभियानों का काम सौंपा जाता है. यूनिट दुश्मन के घर में घुसकर भी मिशन को अंजाम देती है.
इजरायल अपने स्पेशल यूनिट के अहम ऑपरेशन की जानकारी साझा नहीं करता लेकिन ऐसा माना जाता है सायरेत मतकल ने ऑपरेशन गिफ्ट (1968 में बेरूत में अरब विमानों को नष्ट करने), ऑपरेशन रोस्टर (1969 मिस्र के राडार स्टेशन पर कब्जा), ऑपरेशन आइसोटोप (1972 में अपहरण किए गए सबेना विमान से बंधकों को छुड़ाना) में भाग लिया था.
यूनिट ने ऑपरेशन स्प्रिंग ऑफ यूथ (1973 में बेरूत में ब्लैक सितंबर आतंकवादियों को मारना), ऑपरेशन थंडरबोल्ट (1976 में युगांडा में इजरायली बंधकों को बचाना) और दूसरे लेबनान युद्ध के दौरान 'ऑपरेशन शार्प एंड स्मूथ' को भी अंजाम दिया था.

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