
दिल्ली में 6 अवैध बांग्लादेशी प्रवासी गिरफ्तार, पहचान छिपाने के लिए बन गए थे ट्रांसजेंडर
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दिल्ली के रोहिणी और महिपालपुर इलाके में पुलिस ने छह बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है. इनमें दो लोग ट्रांसजेंडर के रूप में पहचान से बचने के लिए छिपे हुए थे. आरोपियों की पहचान माही (22), तान्या (19), अकलीमा बीबी (35), एम्ब्रोस, मोहम्मद कमाल (51) और महबूब आलम (50) के रूप में हुई है.
दिल्ली के रोहिणी और महिपालपुर इलाके में पुलिस ने छह बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है. इनमें दो लोग ट्रांसजेंडर के रूप में पहचान से बचने के लिए छिपे हुए थे. आरोपियों की पहचान माही (22), तान्या (19), अकलीमा बीबी (35), एम्ब्रोस, मोहम्मद कमाल (51) और महबूब आलम (50) के रूप में हुई है. पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि महबूब आलम पुर्तगाल दूतावास में अपॉइंटमेंट के लिए वीजा पर भारत आया था, लेकिन 8 अप्रैल को वीजा समाप्त होने के बाद भी वहां रुका रहा. महिपालपुर इलाके में दो बांग्लादेशी ट्रांसजेंडर माही और तान्या को पकड़ा गया. उन्होंने एजेंटों की मदद से भारत की खुली सीमा से अवैध रूप से प्रवेश किया था.
उन्होंने बताया कि वे पहचान से बचने के लिए ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों का भेष बनाकर शहर में रह रहे थे. उन दोनों ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि उन्होंने अपनी पहचान की पुष्टि के लिए लिंग परिवर्तन प्रक्रियाओं से गुजरे थे. उन्होंने दो अन्य बांग्लादेशी ट्रांसजेंडर पिंकी और इरारा का भी नाम लिया, जिन्होंने नकली दस्तावेज दिलाने में मदद की थी.
एक अधिकारी ने कहा, "प्रतिबंधित आईएओ ऐप और उनके बांग्लादेशी मूल को साबित करने वाले संचार लॉग वाले दो मोबाइल फ़ोन जब्त किए गए. जाली दस्तावेज़ों का उपयोग करके प्राप्त किए गए आधार और पैन कार्ड भी बरामद किए गए हैं." एक अलग ऑपरेशन में पिछले तीन साल से आरके पुरम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी एम्ब्रोस को पकड़ा गया.
पुलिस ने कहा कि आरोपी ने अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने की बात स्वीकार की है. उसके पास बांग्लादेशी दस्तावेज़ों की केवल फ़ोटोकॉपी थी. वह आवास की तलाश में शहर में रह रहा था. उसे हिरासत में लिया गया और बाद में निर्वासन केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया. रोहिणी में भी अवैध रूप से रह रहे तीन अन्य बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा गया.
अक्लिमा और कमल नामक बांग्लादेशी साल 2007 और साल 2012 में भारत से निर्वासित किए गए थे, लेकिन वे अवैध रास्तों के जरिए वापस लौटने में सफल रहे. बांग्लादेश के मदारीपुर जिले के रहने वाले कमल के पास आधार कार्ड पाया गया है. वो कबाड़ी का काम करता था, जबकि अक्लीमा छोटे-मोटे काम करती थी, रात में वापस लौटने में सफल रही.

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