
दिल्ली में हैवानियत का शिकार हुए बच्चे की मौत, 13 दिन से जिंदगी और मौत से जूझ रहा था मासूम
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दिल्ली पुलिस का कहना है कि 22 सितंबर की दोपहर करीब 3.10 बजे एलएनजेपी अस्पताल से सीलमपुर थाने में सूचना मिली थी कि 3 दिन पहले एक 12 साल के लड़के पर शारीरिक हमला किया गया है, उसे यहां भर्ती कराया गया है. आनन-फानन में पुलिस टीम अस्पताल पहुंची और बच्चे के माता-पिता से मुलाकात की, लेकिन उन्होंने बयान देने से इनकार कर दिया. बच्चा डॉक्टर्स की निगरानी में था.
उत्तर पूर्वी दिल्ली में बीते दिनों जिस 12 साल के लड़के के साथ हैवानियत की गई थी, उसकी 13 दिन बाद मौत हो गई है. ये बच्चा दिल्ली के एलएनजेपी हॉस्पिटल में एडमिट था. बच्चे के साथ तीन नाबालिगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था और उसके प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डाल दी थी. इस घटना के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने पुलिस से जवाब तलब किया था और बच्चे के बारे में जानकारी शेयर की थी.
बताया गया कि शनिवार सुबह बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो गई. वारदात 18 सितंबर की है. आरोपियों में एक चचेरा भाई भी था. इस मामले में सीलमपुर थाने में केस दर्ज हुआ था. पुलिस ने तीन नाबालिग आरोपियों को पकड़ा था. एक आरोपी फरार चल रहा है.
'आरोपियों को मिले सख्त सजा,' बेटे को दर्द में बिलखते देख बोली मां
बच्चे की मां ने आजतक से बातचीत की है और बेटे के दर्द की कहानी बयां की. उन्होंने बताया कि 18 सितंबर को 12 साल के नाबालिग बेटे को उसके साथी खेलने के बहाने घर से लेकर गए थे. जब बेटा वापस आया तो वह रो रहा था और खून से लथपथ था. बेटे को रोता देख मां भी रोने लगी और बार-बार उससे पूछा कि क्या हुआ- तुझे इतनी चोट कैसे लगी? किसने तुझे मारा. मां तो बेटे की शक्ल देखकर कर ही जान लेती है कि उसके साथ कुछ हुआ है. अपने साथ हुई हैवानियत को बेटे सोनू (परिवर्तित नाम) ने छिपा लिया और मां को बताया कि तीन लड़कों ने उसको खूब मारा पीटा है.
शर्मिंदगी की वजह से तीन दिन घर में नहीं बताया
3 दिन तक अपनी शरीर के दर्द को सहता रहा और उस मानसिक दर्द को भी जिसने एक बार फिर दिल्लीवालों को निर्भया कांड की याद दिला दी, लेकिन जब तीन दिन यानी 21 सितंबर को जब सोनू की तबीयत खराब होने लगी तो मां और घर वालों ने भी पूछा, तब सोनू ने बताया कि आरोपियों ने उसके प्राइवेट पार्ट्स के साथ हैवानियत की. मां ने बताया कि जब बेटा घर आया था, तब उसका पूरा मुंह तक गंदा था. उसकी तबीयत लगातार खराब हो रही थी. कुछ खाना भी नहीं खा पा रहा था.

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