दिल्ली में दिखा उपराज्यपाल की पहल का असर, सड़कों पर नहीं अदा की गई ईद की नमाज
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धार्मिक भावनाओं और स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए प्रशासन ने नागरिक अनुशासन बनाए रखने और सार्वजनिक स्थान पर कब्जा न करने पर जोर दिया है. यह सार्वजनिक स्थानों, मुख्य रूप से सड़कों का उपयोग नमाज अदा करने के लिए किए जाने की बढ़ती घटनाओं की पृष्ठभूमि में आया है. ये एक ऐसा मुद्दा है, जिसने हाल के दिनों में काफी विवाद पैदा किया है.
देशभर में गुरुवार को धूमधाम से ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दौरान दिल्ली की सड़कों पर उपराज्ययपाल वीके सक्सेना की पहल का असर देखने को मिला. यही कारण है कि इस बार शहर में सड़कों पर ईद की नमाज अदा नहीं की गई. दरअसल, दिल्ली के उपराज्यपाल के नेतृत्व में शहर की सड़कों पर प्रार्थना सभाओं को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. यह फैसला उपराज्यपाल की दिल्ली की सभी मस्जिदों के इमामों के साथ हुई बैठक में लिया गया था.
धार्मिक भावनाओं और स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए, प्रशासन ने नागरिक अनुशासन बनाए रखने और सार्वजनिक स्थान पर कब्जा न करने पर जोर दिया है. यह सार्वजनिक स्थानों, मुख्य रूप से सड़कों का उपयोग नमाज अदा करने के लिए किए जाने की बढ़ती घटनाओं की पृष्ठभूमि में आया है. ये एक ऐसा मुद्दा है, जिसने हाल के दिनों में काफी विवाद पैदा किया है.
इसके मद्देनजर यह फैसला लिया गया कि मस्जिदों के अंदर नमाज अदा करने के लिए अलग-अलग समय निर्धारित किया जाए, यह समाधान स्वयं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सुझाया गया था. अलग-अलग समय के स्लॉट का पालन करके यह सुनिश्चित किया गया कि नमाज करते समय नमाजी सड़कों पर न फैलें. यह व्यवस्था व्यावहारिक होने के साथ-साथ धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने वाली भी है.
अधिकारियों का मानना है कि इस मिसाल के गूंजते प्रभाव से भारत के अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह के बदलाव आने की उम्मीद है. यह कदम धार्मिक रीति-रिवाजों को सार्वजनिक व्यवस्था के साथ सामंजस्य बिठाने और साझा सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने की आवश्यकता को दर्शाता है.
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