
'दिग्गजों का किनारा, गैर जाट वोटर्स से दूरी और ओबीसी पर भरोसा...,' क्या हरियाणा में फिर क्लीन स्वीप कर पाएगी बीजेपी?
AajTak
देश में लोकसभा चुनाव हैं और हरियाणा में दोबारा क्लीन स्वीप की तैयारी में जुटी बीजेपी अपना नॉन-जाट पॉलिटिकल फॉर्मूला फिर से लागू कर रही है. हरियाणा में जाट वोट शेयर तीन राजनीतिक दलों कांग्रेस, इनेलो और जेजेपी के बीच बंटा हुआ है. आंदोलनकारी किसानों में ज्यादातर जाट हैं. हरियाणा में बीजेपी की सबसे बड़ी चुनौती सत्ता विरोधी लहर है. यहां जाटों, किसानों और गांव के सरपंचों के बीच विश्वास की कमी को दूर करने की चुनौती है. यही वजहें बीजेपी के चुनावी प्रचार में बाधा बन रहे हैं.
हरियाणा में 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने मैदान में अपने 'खिलाड़ी' उतार दिए हैं. यहां टिकट बंटवारे से साफ पता चलता है कि बीजेपी के लिए गैर-जाट वोटर्स टॉप फोकस में हैं. बीजेपी उम्मीदवार चयन में ओबीसी पर ज्यादा भरोसा किया. राज्य में 21 प्रतिशत ओबीसी मतदाता हैं. जबकि जाट मतदाता 22.2 प्रतिशत हैं. इसके अलावा, सवाल यह भी उठ रहा है कि वरिष्ठ नेताओं के किनारा करने से बीजेपी के लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान पर कितना असर पहुंचेगा? हालांकि, प्रचार में बीजेपी, कांग्रेस से आगे है. चूंकि कांग्रेस टिकटों पर फैसला करने के लिए संघर्ष कर रही है.
पहले बात करते हैं कि बीजेपी जाट मतदाताओं से दूर क्यों हो रही है? इसकी मुख्य वजह यह निकलकर आती है कि चूंकि राज्य में जाट वोटर्स कांग्रेस, जेजेपी और INLD समेत कई पार्टियों में बंटे हुए हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री चुना था. वो लगातार दो बार मुख्यमंत्री रहे.
'बीजेपी के फोकस में रहे गैर जाट वोटर्स'
भले ही कांग्रेस जाट मतदाताओं पर भरोसा कर रही है, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने 50 प्रतिशत जाट वोट हासिल किए थे. उसके बावजूद बीजेपी के फोकस से गैर-जाट वोटर्स दूर नहीं हुए हैं. बल्कि नजदीकियां बढ़ाई हैं. बीजेपी को 74 प्रतिशत सामान्य जाति, 73 प्रतिशत ओबीसी और 58 प्रतिशत दलित समुदाय से जुड़े वोट मिले थे.
2019 के विधानसभा चुनावों में वोट स्विंग के कारण दिग्गज नेता चित्त हो गए थे. कैप्टन अभिमन्यु, ओपी धनखड़, तत्कालीन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला और प्रेम लता समेत टॉप जाट नेताओं की हार हुई थी.
'फिर दोहराया सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूला'

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.

देश की किफायत विमानन कंपनी इंडिगो का ऑपरेशनल संकट जारी है. इंडिगो को पायलट्स के लिए आए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को लागू करने में भारी दिक्कत आ रही है. इस बीच आज इंडिगो की 1000 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो गई है, जिस पर कंपनी के सीईओ का पहला बयान सामने आया है. इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने इंडिगो ऑपरेशनल संकट पर पहली बार बयान देते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से विमानन कंपनी के कामकाज में दिक्कतें आ रही हैं. कंपनी का कामकाज पांच दिसंबर को सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. आज 100 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हुई हैं.

संसद के शीतकालीन सत्र में 8 और 9 दिसंबर 2025 को राष्ट्रगीत वंदे मातरम् पर दोनों सदनों में विशेष चर्चा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री इस चर्चा को संबोधित करेंगे. चर्चा का उद्देश्य वंदे मातरम् के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान प्रासंगिकता को उजागर करना है.

भारत-रूस बिजनेस फोरम में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निर्धारित किया है. राष्ट्रपति पुतिन के साथ चर्चा में यह स्पष्ट हुआ कि व्यापार लक्ष्य समय से पहले पूरा किया जाएगा. कई क्षेत्रों जैसे लॉजिस्टिक्स, कनेक्टिविटी, मरीन प्रोडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा, और टेक्सटाइल में सहयोग को आगे बढ़ाया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर के 711 अग्निवीर आज भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं. श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर में इन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद ये अग्निवीर देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात होंगे. इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत हुई है.







