
ताहिर हुसैन, शाहरुख पठान... विवादित चेहरों के जरिए दिल्ली चुनाव में दम दिखा पाएगी ओवैसी की पार्टी?
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दिल्लि चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने पहले आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोप में बंद ताहिर हुसैन को टिकट दिया और अब शाहरुख पठान को भी लड़ाए जाने की चर्चा है. ओवैसी की पार्टी किसका गेम बिगाड़ेगी?
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार और महाराष्ट्र तक, चुनाव मैदान में अपनी मौजूदगी दर्ज कराती आई है लेकिन देश की राजधानी के रण से दूरी बनाए रखी. केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली चुनाव की दहलीज पर खड़ा है और इस बार ओवैसी की पार्टी भी समर में उतरने को तैयार है. ओवैसी की पार्टी ने दिल्ली दंगा केस में जेल में बंद चल रहे आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद रहे ताहिर हुसैन को मुस्तफाबाद सीट से उम्ममीदवार घोषित कर दिया है. चर्चा दिल्ली दंगों के दौरान पुलिसकर्मी पर पिस्टल तान चर्चा में आए शाहरुख पठान के चुनाव लड़ने की भी है.
इस तरह की चर्चा को हवा मिली जेल में बंद शाहरुख के परिजनों से एआईएमआईएम के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष की मुलाकात के बाद. ओवैसी की पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष शोएब जमई ने हाल ही में शाहरुख के परिवार से मुलाकात की थी और ये कहा था कि अगर परिवार और वहां की लोकल अवाम चाहे तो हम चुनाव लड़ाने के लिए तैयार हैं. पहले ताहिर हुसैन और अब शाहरुख पठान, एआईएमआईएम दिल्ली दंगों के आरोपित चेहरों को चुनाव मैदान में उतारकर या उतारने की बात कर क्या संदेश देना चाहती है? क्या ओवैसी की पार्टी विवादित चेहरों को मौका देकर दिल्ली की सियासत में डेब्यू कर पाएगी और अगर हां तो वह किसका गेम बिगाड़ेगी?
विवादित चेहरों पर दांव के पीछे क्या
दिल्ली में ओवैसी की पार्टी एक के बाद एक विवादित चेहरों पर दांव लगा रही है तो इसके पीछे भी अपनी रणनीति है. ओवैसी और उनकी पार्टी की रणनीति मुस्लिम पॉलिटिक्स की पिच पर एक पैन इंडिया विकल्प बनने की है. वह ये संदेश देना चाहते हैं कि जिन मुस्लिम नेताओं से बाकी की सेक्यूलर पार्टियां भी किनारा कर रही हैं, हम उन नेताओं के साथ ही उनके परिवार के साथ भी खड़े हैं.
दिल्ली में मुस्लिम मतदाता कभी कांग्रेस के साथ हुआ करते थे जो अब आम आदमी पार्टी के साथ शिफ्ट हो चुके हैं. ऐसे में राजधानी की सियासत में जमीन बनानी है तो पार्टी के लिए ताहिर हुसैन जैसे चेहरे जरूरी हो जाते हैं जिन्हें दिल्ली दंगों के दौरान आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोप में जेल जाने के बाद आम आदमी पार्टी ने निष्कासित कर दिया था.
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