तकिए से मुंह दबाकर की थी पति की हत्या, कोर्ट ने महिला और उसके प्रेमी को सुनाई उम्रकैद की सजा
AajTak
यूपी के कौशांबी में एक हत्या के मामले में कोर्ट ने महिला और उसके प्रेमी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसी के साथ जुर्माना भी लगाया है. साल 2020 में महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की तकिए से मुंह दबाकर हत्या कर दी थी.
उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में एक महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी थी. इस मामले में कोर्ट ने महिला और उसके प्रेमी को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसी के साथ जुर्माना भी लगाया है.
जानकारी के अनुसार, मई 2020 में कौशांबी जिले की रहने वाली महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी थी. यह मामला सामने आने के बाद पुलिस ने केस दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार किया था.
इस मामले को लेकर सरकारी वकील अनिरुद्ध मिश्रा ने बताया कि कोर्ट ने सुनवाई करते हुए गवाहों और सबूतों के आधार पर महिला सुनीता देवी और श्रीचंद पटेल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, साथ ही 15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.
सोते समय तकिए से दबा दिया था मुंह
अभियोजन पक्ष के अनुसार, कौशांबी के चौराडीह गांव के निवासी रामचंद्र पटेल की उस वक्त तकिए से मुंह दबाकर हत्या कर दी गई थी, जब वह अपने घर पर सो रहे थे. इस मामले में रामचंद्र की पत्नी की शिकायत के आधार पर 18 मई, 2020 को चरवा थाने में केस दर्ज किया गया था. पुलिस ने जब इस मामले की जांच-पड़ताल की तो शक मृतक की पत्नी पर गया.
पुलिस ने सख्ती से की पूछताछ, तब खुला था राज
केरल में ड्राइविंग के दौरान नियमों की धजी उड़ाने वाले शख्स पर कार्रवाई करते हुए मोटर व्हीकल विभाग ने तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है. अलप्पुझा के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) आर. रामनन की जांच के बाद आरोपी पुजारी बैजू विंसेंट के खिलाफ कार्रवाई करते हुए तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड कर किया गया है.
दिल्ली-कनाडा फ्लाइट को बीते सप्ताह उड़ाने की धमकी एक मेल के जरिए दी गई थी. इस मामले में पुलिस ने 13 साल के एक बच्चे को पकड़ा है. यह मेल बच्चे ने हंसी-मजाक में भेज दिया था. वह यह देखना चाहता था कि धमकी भरा मेल भेजने के बाद पुलिस उसे ट्रेस कर पाती है या नहीं. अब उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा.
‘जिस घर में कील लगाते जी दुखता था, उसकी दीवारें कभी भी धसक जाती हैं. आंखों के सामने दरार में गाय-गोरू समा गए. बरसात आए तो जमीन के नीचे पानी गड़गड़ाता है. घर में हम बुड्ढा-बुड्ढी ही हैं. गिरे तो यही छत हमारी कबर (कब्र) बन जाएगी.’ जिन पहाड़ों पर चढ़ते हुए दुख की सांस भी फूल जाए, शांतिदेवी वहां टूटे हुए घर को मुकुट की तरह सजाए हैं. आवाज रुआंसी होते-होते संभलती हुई.