
डिप्लोमेसी में प्रोटोकॉल से ज्यादा पर्सनल टच को क्यों देते हैं अहमियत? पीएम मोदी ने खुद बताई वजह
AajTak
लोकसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में अपनी विदेश नीति पर भी बात की. प्रधानमंत्री अक्सर कहते हैं कि वह डिप्लोमेसी में पर्सनल टच को ज्यादा अहमियत देते हैं. अब उन्होंने इंटरव्यू में बताया है कि आखिर वह ऐसा क्यों करते हैं. प्रधानमंत्री मानते हैं कि इस प्रोटोकॉल के चक्कर में पूरा समय चला जाता है और ये कि अगर हम प्रोटोकॉल में फंसे रहे तो हम परफॉर्म नहीं कर पाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक खास इंटरव्यू में अपनी डिप्लोमेटिक समझ को लेकर खुलकर बात की. प्रधानमंत्री मानते हैं कि अगर हमारी डिप्लोमेसी प्रोटोकॉल में फंसी रहेगी तो हम परफॉर्म नहीं कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि डिप्लोमेसी की ताकत इन्फॉर्मल में भी है. प्रोटोकॉल में पॉजिश्निंग होता है कि पहले कौन आएगा, पहले कौन हाथ मिलाएगा - पूरा समय उसी में चला जाता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने इंटरव्यू में अपनी प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले शपथग्रहण को याद किया और बताया कि कैसे उन्होंने अपने शपथ समारोह में सात देशों निमंत्रण भेजा था. उन्होंने बताया, "इसके लिए मैंने सभी से बैकचैनल से सहमति ले ली थी और सब लोग आए भी. प्रधानमंत्री ने बताया कि जब वे आना शुरू हुए तो मुझे समझाया गया कि किस तरह से प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा.ॉ
यह भी पढ़ें: PM मोदी ने सुनाई G20 में बाइडेन और मोहम्मद बिन सलमान के हाथ मिलाने की कहानी
'... तो सारा सिस्टम हिल गया'
पीएम मोदी ने बताया कि तब हमारा विदेश मंत्री बना भी नहीं था. उन्होंने प्रोटोकॉल समझाने वालों का जिक्र करते हुए बताया, "मैं इन चीजों से बहुत नया था. सबके साथ बायलेटरल होना था. जब मैंने उनसे कहा कि मैं उन्हें (विदेशी नेताओं को) बाहर लेने के लिए जाता हूं तो सारे सिस्टम हिल गए. विदेश मंत्रालय की प्रोटोकॉल की दुनिया के लिए पहला ही दिन गजब था और मेरे लिए वो एक एक्शन मेरे सारे दरवाजे खोल दिए थे.
2047 तक भारत को एक विकसित बनाने की योजना

भारत-रूस बिजनेस फोरम में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निर्धारित किया है. राष्ट्रपति पुतिन के साथ चर्चा में यह स्पष्ट हुआ कि व्यापार लक्ष्य समय से पहले पूरा किया जाएगा. कई क्षेत्रों जैसे लॉजिस्टिक्स, कनेक्टिविटी, मरीन प्रोडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा, और टेक्सटाइल में सहयोग को आगे बढ़ाया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर के 711 अग्निवीर आज भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं. श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर में इन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद ये अग्निवीर देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात होंगे. इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत हुई है.

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुक्रवार को अपने एक साल का सफर तय कर लिया है. संयोग से इस समय महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, जिसे लेकर त्रिमूर्ति गठबंधन के तीनों प्रमुखों के बीच सियासी टसल जारी है. ऐसे में सबसे ज्यादा चुनौती एकनाथ शिंदे के साथ उन्हें बीजेपी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे से भी अपने नेताओं को बचाए रखने की है.

नो-फ्रिल्स, जीरो कर्ज, एक ही तरह के जहाज के साथ इंडिगो आज भी खड़ी है. लेकिन नए FDTL नियमों और बढ़ते खर्च से उसकी पुरानी ताकत पर सवाल उठ रहे हैं. एयर इंडिया को टाटा ने नया जीवन दिया है, लेकिन अभी लंबी दौड़ बाकी है. स्पाइसजेट लंगड़ाती चल रही है. अकासा नया दांव लगा रही है. इसलिए भारत का आसमान जितना चमकदार दिखता है, एयरलाइन कंपनियों के लिए उतना ही खतरनाक साबित होता है.









