
'टॉक्सिक फेमिनिज्म फैला रही Mrs.', सुनकर भड़के प्रोड्यूसर, दिया दो टूक जवाब
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फिल्म 'मिसेज' में सान्या मल्होत्रा को अपनी दमदार परफॉरमेंस के लिए खूब सराहना मिली है. साथ ही मेकर्स को भी महिलाओं पर पितृसत्ताम्क घरों में डाले जाने दबाव और शोषण को दिखाने के लिए सराहा जा रहा है. इस बीच इंटरनेट पर फिल्म की आलोचना भी हो रही है, जिसका जवाब प्रोड्यूसर हरमन बावेजा ने दिया है.
बॉलीवुड एक्ट्रेस सान्या मल्होत्रा की फिल्म 'मिसेज' रिलीज के बाद से चर्चा में बनी हुई है. इस फिल्म में एक नई नवेली दुल्हन ऋचा की कहानी दिखाई गई है, जो शादी के बाद अपने पति के घर की नौकरानी बनकर रह जाती है. देश में महिलाओं की दशा पर पर बात करती इस पिक्चर में सान्या मल्होत्रा को अपनी दमदार परफॉरमेंस के लिए खूब सराहना मिली है. साथ ही मेकर्स को भी महिलाओं पर पितृसत्ताम्क घरों में डाले जाने दबाव और शोषण को दिखाने के लिए सराहा जा रहा है. इस बीच इंटरनेट का एक सेक्शन फिल्म और उसके मैसेज से खफा है.
SIFF यानी सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन ने फिल्म 'मिसेज' की आलोचना करते हुए X पर एक लंबी-चौड़ी पोस्ट शेयर की थी. इसमें सवाल उठाया गया था कि 'एक यंग महिला के लिए घर में खाना पकाना, बर्तन धोना और अपने ससुर के कपड़े प्रेेस करना शोषण कैसे है'. साथ ही पोस्ट में ये भी कहा गया था कि 'सब्जी काटने, गैस स्टोव पर खाना पकाने और ग्लव्स पहनकर बर्तन धोने में कितना ही स्ट्रेस होता है? जीरो. एकदम नहीं'. पोस्ट में ये भी कहा गया कि ये फिल्म पुरुषों के खिलाफ है और इससे टॉक्सिक फेमिनिज्म फैलाया जा रहा है.
गुस्साए हरमन बावेजा
अब 'मिसेज' के प्रोड्यूसर हरमन बावेजा ने इस पोस्ट पर अपना रिएक्शन दिया है. हरमन ने न्यूज18 से बातचीत में कहा कि वो इससे गुस्सा हैं और उन्हें इतना गुस्सा कम ही आता है. एक्टर-प्रोड्यूसर बोले, 'मैं गुस्से की स्टेज से बहुत आगे निकल गया हूं. मुझे गुस्सा दिलाने में बहुत मेहनत लगती है. शायद पुरुषों का वो सेक्शन इस फिल्म को देख रहा है और सोच रहा है कि इसमें सभी पुरुषों की बात हो रही है. लेकिन ये जरूरी नहीं है कि ऐसा सच में हो. अगर किसी फिल्म में एक महिला और पुरुष किरदार है, तो इसका मतलब नहीं है कि सभी महिलाएं और पुरुष वैसे ही होते हैं. हर घर अलग होता है. उसकी खुशबू, तौर-तरीका, जिस तरह वो खाना परोसते हैं, सब हर घर में अलग होता है.'
हरमन ने ये भी कहा कि दर्शकों का ऋचा (सान्या मल्होत्रा) के किरदार की तरफ दया भाव दिखाना जरूरी है. भले ही वो उससे रिलेट न कर पा रहे हों. उन्होंने कहा, 'जरूरी है कि इस फिल्म को सिर्फ एक नजरिए से न देखा जाए. हमें ये समझना होगा कि मिसेज एक खास महिला की कहानी है और बहुत-सी महिलाएं उसकी जिंदगी के कुछ हिस्सों से खुद को जोड़कर देख सकती हैं. मैं सोचता हूं कि मॉडर्न घरों में रहने वाले लोग शायद इस फिल्म से खुद को जोड़कर न देख पाएं, लेकिन वो इसे समझेंगे जरूर क्योंकि उन्होंने अपनी मांओं के साथ ये सब होते देखा है. यही नजरिया इस फिल्म को देखने के लिए चाहिए.'
SIFF ने अपने पोस्ट में ये कहा था कि पुरुषों को कभी भी घर के काम की 50% जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि 70 से 80% सामान, कपड़े, फर्नीचर और गैजिट महिलाओं की जरूरत होते हैं और वो ही इनका इस्तेमाल भी करती हैं. इस बारे में हरमन बावेजा ने अपनी राय सामने रखी और कहा, 'मेरा नजरिया इसे लेकर अलग है. इस फिल्म का सार ये है कि आप जो भी क्वालिटी अपने साथ लेकर आते हैं उसके लिए एक दूसरे की इज्जत करें. मैं अपनी पत्नी से प्यार करता हूं और उनकी इज्जत करता हूं और वो मुझसे प्यार और मेरा सम्मान करती हैं. हमारे अभी दो बच्चे हुए हैं और वो बिजी हैं.'

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