
जॉर्ज सोरोस को मिला US का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, मस्क ने कहा- वे सभ्यता के ताने-बाने को कर रहे हैं नष्ट!
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जॉर्ज सोरोस... दुनिया भर में सरकारों और संस्थाओं को हिलाने वाले इस दिग्गज खरबपति को राष्ट्रपति बाइडेन ने अपने करियर के आखिरी दिनों में अमेरिका के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया है. इस फैसले के साथ ही उन्होंने सोरोस के 'कर्मो-कुकर्मों' का पिटारा खोल दिया है. बाइडेन के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं अमेरिका के ही दूसरे खरबपति बिजनेसमैन एलन मस्क ने.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने विवादित भूमिका में रहे खरबपति कारोबारी जॉर्ज सोरोस को अमेरिका के सबसे बड़े नागरिक सम्मान प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम (Presidential Medal of Freedom) से सम्मानित किया है. भारत के संदर्भ से समझें तो अपने देश में जो प्रतिष्ठा 'भारत रत्न' सम्मान से जुड़ी है वही गौरव अमेरिका में प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम को हासिल है.
बेशुमार दौलत, विवादित निवेशक, कई एनजीओ पर दबदबा रखने वाले और दुनिया भर के देशों की सरकार में उथल-पुथल मचाने वाले जॉर्ज सोरोस को भूमिका निगेटिव शेड्स में रही है. जॉर्ज सोरोस पर कई देशों की सरकार गिराने और कई दिग्गज बैकों को तबाह करने का आरोप है. भारत को लेकर भी उनकी राय नेक नहीं है.
वर्ष 2023 में जॉर्ज सोरोस ने म्यूनिख में रक्षा सम्मेलन में कहा था कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं. इसके अलावा भी सोरोस ने पीएम मोदी को लेकर कई अवांछित टिप्पणियां की थी.
पहले बेटे को माफी, अब सोरोस को सर्वोच्च सम्मान
अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में राष्ट्रपति बाइडेन लीक से हटकर निर्णय ले रहे हैं. उन्होंने अपने बेटे हंटर समेत दूसरे कैदियों को माफी दी. अब उन्होंने 19 लोगों को अमेरिका के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा है.
इस सम्मान को देते हुए अपने शुरुआती संबोधन में बाइडेन ने कहा, "राष्ट्रपति के रूप में अंतिम बार मुझे हमारे देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, मेडल ऑफ फ्रीडम को असाधारण, वास्तव में असाधारण लोगों के एक समूह को प्रदान करने का सम्मान मिला है, जिन्होंने अमेरिका की संस्कृति और उद्देश्य को आकार देने के लिए अपना पवित्र प्रयास किया."

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