
जब ऑस्ट्रेलिया में टैक्सी ड्राइवर का काम करते थे रणदीप हुड्डा, बताई मजबूरी
AajTak
साहित्य आजतक के मंच पर एक्टर रणदीप हुड्डा ने अपने शुरुआती दिनों को याद किया जब वो ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई करने गए थे. वहां एक्टर ने कुछ वक्त के लिए टैक्सी भी चलाई थी, जिसके किस्से उन्होंने फैंस के साथ शेयर किए.
दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में साहित्य आजतक 2025 का समापन हुआ. तीन दिनों तक चले इस साहित्य के महाकुंभ में लेखकों के साथ बॉलीवुड सितारों की भी महफिल जमी. एक्टर रणदीप हुड्डा, जिन्होंने बॉलीवुड की कई बड़ी फिल्मों में काम किया, उन्होंने अपने शुरुआती दिनों के कुछ किस्से साझा किए. रणदीप ने बताया कि वो ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई करने गए थे. वहां वो पार्ट टाइम के लिए टैक्सी ड्राइविंग भी करते थे.
जब ऑस्ट्रेलिया में रणदीप चलाते थे टैक्सी
रणदीप कहते हैं कि उन्हें एक्टिंग का शौक काफी पहले से था. जब वो ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने गए थे, तब भी उन्हें भरोसा था कि वो एक्टर ही बनेंगे. उन्हें पढ़ाई में अपना कोई फ्यूचर नहीं नजर आता था. एक्टर ने कहा, 'जब मैं ऑस्ट्रेलिया में पढ़ता था, तब मुझे मालूम था कि पढ़ लिखकर तो मेरा कुछ नहीं होने वाला. मैं स्कूल में बहुत नाटक करता था, तो एक्टिंग का कीड़ा पहले से था. मैंने सोच लिया था कि मैं एक्टर बन सकता हूं.'
'मैं ऑस्ट्रेलिया में टैक्सी चलाना शुरू कर चुका था. वहां मेलबर्न में मैं नाइट शिफ्ट में टैक्सी चलाता था, शाम के 5 बजे से लेकर सुबह के 5 बजे तक. मेरी टैक्सी में बहुत तरीके के लोग बैठते थे, कोई सीईओ था, कोई स्पोर्ट्स स्टार था. मुझे तब पैसों की जरूरत थी, वरना कौन अपने बिस्तर से उठे. टैक्सी इसलिए चलाता था क्योंकि उसमें अच्छी कमाई होती थी, टैक्स फ्री होता था. अपनी मर्जी के मालिक होते हैं. आपका मन किया तो आप कहीं चले गए, वरना आप किसी को मना कर सकते थे.'
रणदीप आगे बताते हैं कि वो जब टैक्सी चलाया करते थे, तो एक इंसान को पिकअप करते थे, जिन्हें वो हर शुक्रवार मेलबर्न डॉक पर छोड़ते थे. जहां से वो बोट में बैठकर मछली पकड़ने जाता था. रणदीप ने जब उस इंसान से पूछा कि वो क्यों हर शुक्रवार ऐसा करते हैं, तो उन्होंने एक्टर को बताया कि उन्हें उस काम में दिलचस्पी है. रणदीप बताते हैं कि उन्हें उस इंसान की बात सुनकर एहसास हो गया कि उन्हें भी अपनी जिंदगी में वही काम करना है जिसमें उनकी दिलचस्पी हो.
बता दें कि रणदीप ने अपना एक्टिंग करियर साल 2001 में फिल्ममेकर मीरा नायर की फिल्म 'मॉनसून वेडिंग' से शुरू किया था. हालांकि इसके बाद, उनकी अगली फिल्म साल 2005 फिल्म 'डी' थी, जो उनके डेब्यू से करीब 4 साल बाद आई थी. इस बीच रणदीप ने कई फिल्मों में काम किया. लेकिन उन्हें असली में पहचान मिलनी साल 2010 से शुरू हुई, जब वो अजय देवगन स्टारर 'वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई' में नजर आए थे.

रूसी बैले डांसर क्सेनिया रयाबिनकिना कैसे राज कपूर की क्लासिक फिल्म मेरा नाम जोकर में मरीना बनकर भारत पहुंचीं, इसकी कहानी बेहद दिलचस्प है. मॉस्को से लेकर बॉलीवुड तक का उनका सफर किसी फिल्मी किस्से से कम नहीं. जानिए कैसे उनकी एक लाइव परफॉर्मेंस ने राज कपूर को प्रभावित किया, कैसे उन्हें भारत आने की इजाजत मिली और आज वो कहां हैं और क्या कर रही हैं.

शहनाज गिल ने बताया कि उन्हें बॉलीवुड में अच्छे रोल नहीं मिल रहे थे और उन्हें फिल्मों में सिर्फ प्रॉप की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था. इसी वजह से उन्होंने अपनी पहली फिल्म इक कुड़ी खुद प्रोड्यूस की. शहनाज ने कहा कि वो कुछ नया और दमदार काम करना चाहती थीं और पंजाबी इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाना चाहती थीं.

ओटीटी के सुनहरे पोस्टर भले ही ‘नई कहानियों’ का वादा करते हों, पर पर्दे के पीछे तस्वीर अब भी बहुत हद तक पुरानी ही है. प्लेटफ़ॉर्म बदल गए हैं, स्क्रीन मोबाइल हो गई है, लेकिन कहानी की कमान अब भी ज़्यादातर हीरो के हाथ में ही दिखती है. हीरोइन आज भी ज़्यादातर सपोर्टिंग रोल में नज़र आती है, चाहे उसका चेहरा थंबनेल पर हो या नहीं. डेटा भी कुछ ऐसी ही कहानी कहता है.

सेलेब्रिटी कॉस्ट्यूम डिजाइनर एश्ले रेबेलो ने ऐश्वर्या राय बच्चन और सलमान खान पर होने वाली ट्रोलिंग को गलत बताया. उन्होंने कहा कि ऐश्वर्या एक ग्लोबल स्टार हैं और उन्हें अच्छे से पता है कि उन्हें क्या पहनना है. वहीं सलमान के बारे में उन्होंने कहा कि एक्टर सिर्फ अपनी सहूलियत पसंद करते हैं और बेहद अच्छे इंसान हैं.









