जनप्रतिनिधियों की तरह अधिकारियों पर भी एक्शन की व्यवस्था हो, बीजेपी MLC ने UP विधान परिषद में उठाया मामला
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बीजेपी के एमएलसी विजय बहादुर पाठक और दिनेश गोयल ने उच्च सदन विधानपरिषद में इस बात को लेकर नोटिस दिया है कि राजनीतिक दल के सदस्यों की तरह ही अधिकारियों पर भी उनके सेवाकाल में ही जांच पूरी कर कार्रवाई करने का नियम होना चाहिए.
उत्तर प्रदेश विधानपरिषद में बीजेपी विधायक ने भ्रष्टाचार, अनियमितता और आपराधिक मामलों के लिए अधिकारियों पर कार्रवाई की व्यवस्था बनाने की मांग की है. प्रशासनिक अफसरों के खिलाफ महिला उत्पीड़न, भ्रष्टाचार, आपराधिक आरोपों की उनके सेवाकाल में जांच पूरी कराने की मांग पर चर्चा कराने को लेकर पहली बार यूपी विधान परिषद में नोटिस दिया गया है. खास बात ये है कि ये नोटिस सत्तारूढ़ बीजेपी के दो विधायकों विजय बहादुर पाठक और दिनेश कुमार गोयल ने दिया है.
यूपी विधानमंडल का शीतकालीन सत्र चल रहा है. इस सत्र में यूपी का अनुपूरक बजट पेश पारित किया गया है. बीच विधानपरिषद में बीजेपी के दो सदस्यों ने नई बहस छेड़ दी है. बीजेपी के एमएलसी विजय बहादुर पाठक और दिनेश गोयल ने उच्च सदन विधानपरिषद में इस बात को लेकर नोटिस दिया है कि राजनीतिक दल के सदस्यों की तरह ही अधिकारियों पर भी उनके सेवाकाल में ही जांच पूरी कर कार्रवाई करने का नियम होना चाहिए.
अधिकारियों पर एक्शन को व्यवस्था नहीं
यूपी की नौकरशाही में इस बात को लेकर जहां चर्चा शुरू हो गयी है. वहीं राजनीतिक हलकों में भी इस बात पर चर्चा है कि ये राजनीति में भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामले में कई बार कड़ी का काम करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की कोई व्यवस्था नहीं है. दरअसल, पिछले कुछ समय से जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भ्रष्टाचार, अनियमितता के मामलों को लेकर न्यायालय सख्त है. कई जनप्रतिनिधियों के लिए एमपी-एलए कोर्ट (MP-MLA court) ने दोषी पाए जाने पर कार्रवाई भी की है. लेकिन दूसरी तरफ कई मामलों में भ्रष्टाचार या अनियमितता में कड़ी का काम करने वाले अधिकारियों पर आरोप लगने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाती.
विधान परिषद में चर्चा कराने की मांग
एमएलसी विजय बहादुर पाठक ने नियम 110 के तहत विधानपरिषद में ये मामला उठाया. एमएलसी विजय बहादुर पाठक के नोटिस में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में आदेश दिया था कि सांसदों और विधायकों से जुड़े आपराधिक, भ्रष्टाचार और अन्य मामलों से सम्बन्धित वादों को शीघ्र सुनवाई करते हुए उसके निस्तारण के लिए विशेष न्यायालयों का गठन करें. इसी को आधार बनाकर नोटिस में प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ लम्बित मामलों की जांच और उनके निस्तारण के लिए व्यवस्था की मांग की गई है. यानी प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ भी इसी तर्ज पर कार्रवाई की कोई व्यवस्था होनी चाहिए. एमएलसी ने इस नोटिस से पहली बार इस मुद्दे पर उच्च सदन विधान परिषद में चर्चा कराने की मांग की.
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