
चुनाव से पहले CAA लागू होने पर पाकिस्तानी मीडिया में क्या छपा?
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मोदी सरकार ने आम चुनाव से ठीक पहले साल 2019 में पास हुए नागरिकता बिल को लागू कर दिया है. इस कानून के लागू होने के बाद तीन पड़ोसी देशों से आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिल सकेगी. इस कदम को लेकर पाकिस्तान की मीडिया ने कई तरह की प्रतिक्रिया दी है.
इस साल मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2024 की अधिसूचना जारी कर दी है. इस कानून के लागू होने के बाद अब पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थी (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) अब भारत की नागरिकता हासिल कर सकेंगे.
सीएए कानून को लागू करने की खबर को पाकिस्तान के कई प्रमुख अखबारों ने प्रमुखता से कवर किया है. पाकिस्तानी अखबारों ने अलग-अलग तरह की टिप्पणियां छापी हैं.
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने लिखा कि सीएए का नोटिफिकेशन जारी करने की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से कहा है कि वो इलेक्टोरल बॉन्ड्स के लाभार्थियों की लिस्ट 15 मार्च तक जारी करे. कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्स को असंवैधानिक करार दिया है.
डॉन ने आगे लिखा, 'विश्लेषकों का कहना है कि सीएए लागू करने की घोषणा का मकसद हेडलाइन्स मैनेज करना है.'
अखबार ने लिखा है कि बहुत से मुसलमानों को डर है कि सीएए लागू होने के बाद जब NRC (National Register of Citizens) तैयार होगा तब कई मुस्लिमों को इससे बाहर कर दिया जाएगा. इसे लेकर भारत में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन देखे गए थे.
विपक्षी पार्टियों की टिप्पणी को अहमियत

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