
चीन का कर्जजाल, हिंद महासागर की सुरक्षा...10 साल में चौथी बार PM मोदी के श्रीलंका दौरे के समझिए मायने
AajTak
भारत और श्रीलंका के संबंधों में 2022 में उस समय तनाव आया था, जब चीन के एक मिसाइल और सैटेलाइट ट्रैकिंग जहाज ने हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डाला था. इसके कुछ दिन बाद चीन का एक युद्धपोत भी कोलंबो बंदरगाह पर तैनात किया गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिम्सटेक समिट में शिरकत करने के बाद 4 अप्रैल को थाईलैंड से रवाना हुए और अपनी विदेश यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत श्रीलंका के तीन दिवसीय दौरे से की. पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान श्रीलंका और भारत अपने रक्षा संबंधों, ऊर्जा, व्यापार और सम्पर्क में सहयोग को और गहरा करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने आखिरी बार 2019 में श्रीलंका की यात्रा की थी और 2015 के बाद से यह द्वीप राष्ट्र की उनकी चौथी यात्रा है.
भारत और श्रीलंका के संबंधों में 2022 में उस समय तनाव आया था, जब चीन के एक मिसाइल और सैटेलाइट ट्रैकिंग जहाज ने हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डाला था. इसके कुछ दिन बाद चीन का एक युद्धपोत भी कोलंबो बंदरगाह पर तैनात किया गया था. लेकिन श्रीलंका ने बहुत जल्द कोर्स करेक्शन किया. पिछले साल हुए चुनाव में अनुरा कुमारा दिसानायके की जीत हुई और वह इस द्वीप राष्ट्र के 10वें राष्ट्रपति बने. दिसानायके वामपंथी विचारधारा वाले नेता हैं और चुनाव प्रचार के दौरान उनके कुछ बयान इस ओर इशारा कर रहे थे कि अगर श्रीलंका की बागडोर उनके हाथों में आती है, तो वह चीन को भारत पर तरजीह दे सकते हैं.
यह भी पढ़ें: PM Modi Sri Lanka Visit: श्रीलंका में PM मोदी का जोरदार स्वागत, दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर, देखें वीडियो
अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आए थे दिसानायके
लेकिन दिसानायके ने राष्ट्रपति के रूप में अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना. वहीं, श्रीलंका में नई सरकार बनने के बाद पीएम मोदी पहले विदेशी नेता हैं, जो यहां के दौरे पर आए हैं. यह दर्शाता है कि श्रीलंका के लिए भारत कितनी अहमियत रखता है. प्रधानमंत्री मोदी की श्रीलंका यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को बढ़ाना तथा ऊर्जा, व्यापार और संपर्क क्षेत्रों में साझेदारी को मजबूत करना है. भारतीय प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दिसानायके के बीच हाल ही में हुई चर्चाओं के बाद नेताओं द्वारा एक महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग समझौते को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है.
यदि इस रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर हो जाते हैं, तो यह भारत-श्रीलंका के संबंधों में एक बड़ा मुकाम होगा, जो लगभग 35 साल पहले भारत द्वारा द्वीप राष्ट्र से भारतीय शांति सेना (IPKF) को वापस बुलाने से संबंधित कड़वे अध्याय को पीछे छोड़ देगा. श्रीलंका पर चीन के बढ़ते सैन्य प्रभाव को कोलंबो के साथ संबंधों को मजबूत करने के भारत के नए प्रयासों के एक अन्य कारण के रूप में देखा जा सकता है. चीन हिंद महासागर क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है और विशेष रूप से भारतीय सामरिक महत्व के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.

वेनेजुएला को लेकर कैरिबियन क्षेत्र में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला के सभी तेल टैंकरों की 'पूर्ण नाकेबंदी' का आदेश दिया है. जबकि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो लगातार शांति के लिए कूटनीतिक कोशिशें कर रहे हैं. मादुरो की अपील के बाद रूस और चीन समेत कई देशों ने अमेरिका के रूख पर कड़ा ऐतराज़ जताया है.

टेक कंपनी एस्ट्रोनॉमर की पूर्व एचआर हेड क्रिस्टिन कैबोट ने कहा कि कोल्डप्ले कॉन्सर्ट के दौरान अपने बॉस और सीईओ एंडी बायरन के साथ दिखा 16 सेकंड का किस कैम मूमेंट शराब पीने के बाद लिया गया उनका एक गलत फैसला था, जिसने उनकी जिंदगी और करियर दोनों बदल दिए. कैबोट ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि वह कोई सेलिब्रिटी नहीं, बल्कि न्यू हैम्पशायर की एक आम मां हैं.

बांग्लादेश के प्रमुख आंदोलनकारी शरीफ उस्मान हादी की सिंगापुर में मौत के बाद ढाका में हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे. प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख अखबारों के दफ्तरों पर हमला किया और आग लगा दी. प्रदर्शनकारियों ने अवामी लीग और भारत के खिलाफ नारे लगाए. हादी की मौत के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शोक घोषित कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओमान के मस्कट शहर में भारतीय समुदाय से मिले और संबोधित किया. उन्होंने कहा कि भारत और ओमान के बीच गहरा रिश्ता है जो 70 वर्षों से मजबूत है. मोदी ने यह भी बताया कि दोनों देश मैत्री पर्व मना रहे हैं जो उनके स्थायी सम्बंधों का प्रतीक है. प्रधानमंत्री ने भारत-ओमान के बीच मित्रता को पक्के दोस्ती के रूप में बताया और कहा कि ये रिश्ते दोनों देशों के लिए लाभकारी हैं.

पाकिस्तान में आर्थिक संकट के बीच सऊदी अरब और यूएई जैसे खाड़ी देशों में भीख मांगने वाले पाकिस्तानी नागरिकों की संख्या बढ़ रही है. सऊदी अरब ने भीख मांगने के आरोप में 56,000 से अधिक पाकिस्तानी नागरिकों को निर्वासित किया है, जबकि पाकिस्तान ने 66,154 यात्रियों को नो-फ्लाई लिस्ट में डालकर विदेश जाने से रोका है.








