
चिकन नेक से Ground Report: 3 दिन में 3 देश...नेपाल और भूटान सीमा पर खुली आवाजाही, एजेंट बोला- जेब में हो टका तो बिना कागज पहुंचेंगे ढाका!
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हाल में बांग्लादेशी नेता मोहम्मद यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर को लैंडलॉक्ड बताते हुए एक तरह से धमकी ही दे डाली. ये राज्य पश्चिम बंगाल के एक संकरे गलियारे के जरिए भारत से जुड़े हुए हैं, जिसे चिकन नेक भी कहते हैं. गलियारा तीन देशों, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान से सटता है. aajtak.in इन मुल्कों की सीमाओं तक पहुंचा. दो के बॉर्डर भी पार किए और समझा कि 22 किलोमीटर चौड़े कॉरिडोर के हालात कैसे हैं और एक देश से दूसरे या तीसरे देश चले जाना कितना आसान या मुश्किल है.
पश्चिम बंगाल का सिलीगुड़ी कॉरिडोर! लगभग 22 किलोमीटर चौड़ा ये हिस्सा नॉर्थ-ईस्ट के आठ राज्यों को बाकी देश से जोड़ता है. गलियारा इसलिए भी संवेदनशील है, क्योंकि इससे तीन देशों बांग्लादेश, नेपाल और भूटान की सीमाएं सटी हैं. तीनों ही चीन की गुडबुक में आने की होड़ लगाए हुए हैं. कुल मिलाकर, चिकन नेक के आकार वाला हिस्सा फिलहाल देश का सबसे नाजुक भाग बना हुआ है. क्रॉस बॉर्डर आवाजाही और तस्करी कथित तौर पर यहां आम है.
तो क्या इंटरनेशनल बॉर्डर पार करना वाकई इतना आसान है?
क्या सिलीगुड़ी कॉरिडोर की पहरेदारी में जरा भी नरमी पूर्वोत्तर राज्यों के लिए जोखिम ला सकती है?
कैसे हैं अपनों से ज्यादा गैरमुल्कों के करीब इस चिकन नेक में हालात?
इन सवालों के जवाब तलाशने aajtak.in तीन दिन में तीनों मुल्कों की सीमाओं तक पहुंचा, और समझा कि 22 किलोमीटर चौड़े सिलीगुड़ी कॉरिडोर में ग्राउंड जीरो पर कैसी स्थिति है. सफर कई किस्तों में पूरा हुआ, शुरुआत तेनजिंग नोर्गे बस टर्मिनस से! सिलीगुड़ी के इस बस अड्डे में नॉर्थ-ईस्ट के लगभग सारे राज्यों से बसें आती हैं. साथ ही यहां से काठमांडू, ढाका और भूटान के फुंटशोलिंग के लिए भी कनेक्टिविटी मिलेगी. सुबह के लगभग आठ बजे इस अड्डे पर मैं यात्री बनकर खड़ी हुई थी. एक के बाद एक कई एजेंट्स आए. दार्जिलिंग और गंगटोक जैसी सैर-सपाटे वाली जगहों पर कम कीमत पर पहुंचाने का ऑफर! स्टार, लेकिन सस्ते होटल में ठहराने का वादा.
तो कहां जाना है? बांग्लादेश बॉर्डर. ठीक है, ले चलेंगे. मुझे वहां घूमना भी है! हो जाएगा. लेकिन मुझे बांग्ला नहीं आती! कोई बात नहीं, हम तो रहेंगे. एक दिक्कत है, मुझे बॉर्डर पार भी करना है...करा सकेंगे? इस सवाल पर कुछेक ट्रैवल एजेंट्स कन्नी काटकर निकल जाते हैं. लौटने को हुई तो एक-एक करके वही एजेंट्स आने लगे. डॉक्युमेंट्स हैं आपके पास? नहीं. पासपोर्ट-वीजा तो नहीं. लेकिन इंडिया की ही हूं. वो कोई बात नहीं. ले चलेंगे लेकिन टका (पैसा) ज्यादा लगेगा… कोई रिस्क तो नहीं! आवाज में भरपूर डर घोलता हुआ सवाल. अब रिस्क तो मैडम घर से निकलते ही है. लेकिन आप डरो मत, सब हो जाएगा. हम एक्सपर्ट हैं. आपके साथ और कौन-कौन होगा?

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