ग्राउंड रिपोर्ट: जातीय संघर्ष नहीं, वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा है मधुबनी हत्याकांड!
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क्या मधुबनी हत्याकांड जातीय संघर्ष है या वर्चस्व की लड़ाई? दरअसल एक ही गांव के 5 लोगों की हत्या का ये मामला तूल पकड़ चुका है. कुछ लोग इसे जातीय संघर्ष बता रहे तो कुछ का कहना है कि ये इलाके में दबदबे की लड़ाई की वजह से हुआ.
मधुबनी के बेनीपट्टी में पड़ने वाले महमदपुर गांव में नेताओं के आने का तांता लगा हुआ है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता अपने काफिले के साथ पहुंच रहे हैं और अपने समर्थकों के साथ आस पास के उदास पड़े तीन घरों में जाकर सांत्वना दे रहे हैं. सिर्फ राजनीतिक दल ही नहीं बल्कि इस गांव में जातीय संगठनों के लोगों का भी जमावड़ा लगा हुआ है. हर कोई अपने हिसाब से जाति और एकजुटता की बात कर रहा है. लेकिन इन सबके बीच एक अनसुलझा सवाल अब तक बरकरार है कि क्या मधुबनी हत्याकांड जातीय संघर्ष है या वर्चस्व की लड़ाई?करीब सवा सौ गज के एक छोटे से मकान में यह अस्पताल चल रहा था. इस मकान की स्थिति ऐसी है कि वह किसी भी वक्त गिर सकता है. अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर ऑक्सीजन के सिलेंडर बिखरे मिले. इनमें से कुछ सिलेंडर के परखचे उड़े हुए थे, क्योंकि आग लगने के बाद इनमें विस्फोट हुआ था अस्पताल में लगी आग को भयावह रूप देने में इन ऑक्सीजन सिलेंडर ने भी मदद की.
लोकसभा चुनाव के आखिरी फेज में प्रचार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आध्यात्मिक यात्रा पर जा रहे हैं. इस बार वे कन्याकुमारी में आध्यात्मिक प्रवास पर हैं. पीएम मोदी 30 मई से 1 जून तक कन्याकुमारी में ध्यान लगाएंगे. स्वामी विवेकानन्द ने भी यहीं तप किया था. पीएम ने 2019 में केदारनाथ, 2014 में शिवाजी के प्रतापगढ़ में ध्यान लगाया था.