क्या Monkeypox रूस का Bioweapon है? क्या होता है ये और क्या ऐसा हो सकता है?
AajTak
Monkeypox Bio Weapon: पूर्व सोवियत वैज्ञानिक कर्नल कनाट अलीबकोव का दावा है कि 1990 के दशक में रूस मंकीपॉक्स को बायो हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता था.
Monkeypox Bioweapon: कोरोना महामारी के बीच दुनियाभर में अब मंकीपॉक्स बीमारी के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. स्वीडन, स्पेन, पुर्तगाल, यूके, फ्रांस, इटली, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा और अमेरिका समेत कई देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आ चुके हैं. भारत में अभी तक इसका कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन निगरानी बढ़ा दी गई है.
यूरोप से लेकर अमेरिका तक कहर मचा रहे मंकीपॉक्स को लेकर एक नया दावा सामने आया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व सोवियत वैज्ञानिक कर्नल कनाट अलीबकोव (Kanat Alibekov) ने एक इंटरव्यू में कहा है कि 1990 के दशक में सोवियत संघ मंकीपॉक्स को बायोवेपन के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता था. अलीबकोव सोवियत संघ के टूटने से पहले तक बायोलॉजिकल हथियार प्रोग्राम के डिप्टी हेड थे. इस पर सवाल खड़ा हो गया है कि दुनियाभर में तेजी से फैल रहा मंकीपॉक्स क्या रूस का बायोलॉजिकल हथियार है?
क्या होते हैं बायोलॉजिकल हथियार?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, बायोलॉजिकल हथियार के जरिए कोई बैक्टिरिया, वायरस फंगस का इस्तेमाल होता है. ऐसे हथियारों को इस्तेमाल करने का मकसद लोगों को बीमार करना होता है. कई मामलों में इससे मौतें भी होती हैं. इससे महामारी फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है. इससे न सिर्फ इंसानों, बल्कि पेड़-पौधों और जानवरों को भी नुकसान पहुंचता है.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, बायोलॉजिकल वेपन का दो तरह से इस्तेमाल हो सकता है. पहला वेपनाइज्ड एजेंट और दूसरा डिलीवरी मैकनिज्म. ऐसे हथियारों का इस्तेमाल राजनीतिक हत्याओं के लिए किया जा सकता है. मवेशियों में इन्फेक्शन फैलाने और खेती की फसल को बर्बाद करने में हो सकता है, ताकि किसी देश में खाने का संकट और उसे आर्थिक चोट पहुंचाई जा सके. इससे बड़े पैमाने पर बीमारी फैलाई जा सकती है.
वेपनाइज्ड एजेंट वो होता है, जिसमें कोई बैक्टिरिया, वायरस, फंगस या टॉक्सिन (जानवरों या पौधों का जहर या फिर कृत्रिम रूप से तैयार जहर) का इस्तेमाल हो सकता है.
अमेरिका के व्हाइट हाउस ने गाजा युद्ध पर बड़ी जानकारी दी. बता दें कि गाजा पर अमेरिका, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, ब्राजील, बुल्गारिया, कनाडा ने संयुक्त बयान दिया है. व्हाइट हाउस के मुताबिक, सभी देशों ने ये माना है कि युद्धविराम के लिए जो भी जरूरी समझौता है, उस पर इजरायल और हमास को काम करना चाहिए. देखें यूएस टॉप-10.
गाजा में इजरायली सुरक्षाबलों और हमास के बीच संघर्ष जारी है. इसी बीच हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि गाजा पट्टी पर इजरायली हमलों में फिलिस्तीनियों की मौत की संख्या बढ़कर 36,731 हो गई है, जबकि 83,530 लोग घायल हो गए हैं. मंत्रालय ने यह भी बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान इजरायली सुरक्षाबलों के हमलों में 77 लोगों की मौत हो गई.