क्या चुपके से रूस के व्लादिवोस्तोक शहर को भी हड़प लेगा चीन, लगातार बढ़ रही चीनी आबादी, बस चुके अलग बाजार
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रूस के पूर्व में बसा एक शहर है व्लादिवोस्तोक. कोविड से ऐन पहले यहां चीन के लोग एकदम से बढ़ने लगे हैं. यहां तक कि वे रूसी शहर में बिजनेस तक बढ़ाने लगे. इसी बीच चीन ने दावा किया कि ये शहर तो असल में उनका है, जिसपर रूस जबरन कब्जा किए बैठा है. बता दें कि मॉस्को के बाद व्लादिवोस्तोक शहर में सबसे ज्यादा चीनी आबादी है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरियाई लीडर किम जोंग उन की कथित तौर पर रूसी शहर व्लादिवोस्तोक में मुलाकात हुई. इस मीटिंग में क्या हुआ, ये तो सीक्रेट है, लेकिन इस बीच व्लादिवोस्तोक शहर जरूर चर्चा में आ गया.
कई बार हो चुका तनाव
रूस के पूर्व में स्थित ये शहर मॉस्को के लिए काफी जरूरी है. लेकिन कहते हैं न कि हर कीमती चीज पर किसी न किसी की नजर रहती है. तो कुछ ऐसा ही व्लादिवोस्तोक शहर के साथ भी हुआ. लंबे समय से चीन रह-रहकर इस पर अपना दावा करता है. यहां तक कि दोनों देशों के आम लोग भी सोशल मीडिया पर इसके लिए लड़-भिड़ चुके. हां, ये बात जरूर है कि बाकी देशों की तरह चीन रूस पर हावी नहीं हो सका.
कोविड से पहले बढ़ने लगी थी मूवमेंट
साल 2020 में चीन के लोगों ने सोशल मीडिया पर व्लादिवोस्तोक को आजाद कराने की मुहिम छेड़ दी. वे आरोप लगा रहे थे कि रूस ने सालों पहले चुपचाप ये शहर उनसे हड़प लिया. हालांकि अपने ही लोगों के इस दावे पर चीन के विदेश मंत्रालय ने तब चुप्पी साधे रखी. तब उसका भारत से भी लद्दाख में तनाव गहराया हुआ था. कोरोना वायरस को लेकर दुनिया उसपर इलजाम लगा रही थी, लिहाजा ये वक्त और लड़ने का नहीं था.