
क्या चीन के खिलाफ भी टैरिफ पर लगाम लगाएंगे ट्रंप? अब शी जिनपिंग से करेंगे फोन पर बात
AajTak
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हाल ही में टैरिफ नीति को लेकर बैकफुट पर दिखाई दे रहे हैं. मेक्सिको और कनाडा के खिलाफ उनका सख्त रुख अब बदल चुका है, और उन्होंने इन देशों के नेताओं से बातचीत के बाद टैरिफ योजना को एक महीने के लिए टाल दिया है. इसी बीच, वे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत की तैयारी में हैं. यह बातचीत मंगलवार को फोन पर होनी है, लेकिन इसका एजेंडा अब तक साफ नहीं हुआ है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ को लेकर बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. मेक्सिको और कनाडा के खिलाफ उन्होंने अपना रुख बदल लिया है, और दोनों देशों के नेताओं से बात करके अपनी योजना को एक महीने के लिए टाल दिया है. अब वह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात करने वाले हैं, लेकिन दोनों नेताओं की बातचीत का एजेंडा अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन मंगलवार को फोन-कॉल शेड्यूल है.
डोनाल्ड ट्रंप के चीनी वस्तुओं पर टैरिफ थोपने के बाद शी जिनपिंग प्रशासन ने भी अमेरिका का जैसे-को-तैसा जवाब दिया है. मसलन, चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया, और ऊर्जा, वाहनों और उपकरणों के इंपोर्ट पर टैक्स लगाने का फैसला किया है.
यह भी पढ़ें: मेक्सिको के बाद कनाडा को भी मिली एक महीने की मोहलत, ट्रंप ने 30 दिन के लिए टाला टैरिफ वॉर
मेक्सिको-कनाडा के खिलाफ ट्रंप का बदला रुख
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को मेक्सिको और कनाडा पर टैरिफ को एक महीने के लिए टाल दिया है, क्योंकि उन्होंने अमेरिका में फेंटेनाइल नाम के ड्रग्स की सप्लाई को रोकने के लिए कदम उठाने पर सहमति दी है. मसलन, अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना है कि मेक्सिको-कनाडा की सीमाओं से अमेरिका में होने वाली ड्रग सप्लाई से हर साल हजारों अमेरिकी मारे जा रहे हैं, और वह इसे किसी भी हद तक जाकर रोकना चाहते हैं.
टैरिफ रोकने के सवाल पर क्या बोले ट्रंप के सलाहकार?

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.






