किन परिस्थितियों में कम हो सकती है मौत की सजा? SC ने 5 जजों की बेंच को सौंपा मामला
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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसके माध्यम से यह तय किया जाएगा कि किसी दोषी को मृत्युदंड की सजा सुनाते वक्त देशभर की अदालतों को किस प्रक्रिया व मार्गदर्शक सिद्धांतों का ध्यान रखना चाहिए. अब इस मामले में 5 जजों की बेंच फैसला करेगी.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मौत की सजा सुनाने के लिए एक गाइड लाइन बनाने के मामले को 5 जजों की बेंच के पास सौंप दिया है. चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा कि एक आरोपी को मौत की सजा देने से पहले सुनवाई के संबंध में परस्पर विरोधी फैसले थे.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसके माध्यम से यह तय किया जाएगा कि किसी दोषी को मृत्युदंड की सजा सुनाते वक्त देशभर की अदालतों को किस प्रक्रिया व मार्गदर्शक सिद्धांतों का ध्यान रखना चाहिए. अब इस मामले में 5 जजों की बेंच फैसला करेगी.
पीठ ने कहा कि ऐसे सभी मामलों में जहां मौत की सजा एक विकल्प है, कम करने वाली परिस्थितियों को रिकॉर्ड में रखना आवश्यक है. हालांकि, मौत की सजा को कम करने वाली परिस्थितियों को दोषसिद्धि के बाद ही फिर से दर्ज किया जा सकता है.
बेंच ने कहा कि इस मामले में स्पष्टता और समान दृष्टिकोण के लिए बड़ी बेंच द्वारा सुनवाई की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जब अधिकतम सजा के रूप में मौत की सजा का सामना करने वाले एक आरोपी को सुनवाई की आवश्यकता होती है परिस्थितियों को कम करने के संबंध में.
बेंच ने 17 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि मौत की सजा अपरिवर्तनीय है और अभियुक्तों को परिस्थितियों को कम करने पर विचार करने के लिए हर अवसर दिया जाना चाहिए.
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