किताबों के साथ समय बिताने वाली उम्र में नेत्रहीन माता-पिता का सहारा बना 8 वर्षीय गोपाल, चलाता है रिक्शा
ABP News
गोपाल अपने माता-पिता की हर संभव मदद करने की कोशिश करता है. उनके माता-पिता देख नहीं सकते हैं और प्रत्येक को 3,000 रुपये की सरकारी सहायता मिलती है.
जिस उम्र में स्कूल की किताबों के साथ समय बिताना चाहिए, उस उम्र में 8 वर्षीय गोपाल कृष्ण, गांव के तिरुपति का मंदिर शहर के पास धूल भरी सड़कों पर इलेक्ट्रिक ऑटोरिक्शा चलाकर अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को बहादुरी से निभा रहा है. बच्चे का काम करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. गरीबी और भाग्य ने लड़के को कम उम्र में ही मुश्किल रास्ते पर चलने के लिए मजबूर कर दिया है. गोपाल अपने माता-पिता की हर संभव मदद करने की कोशिश करता है. उनके माता-पिता देख नहीं सकते हैं और प्रत्येक को 3,000 रुपये की सरकारी सहायता मिलती है. गोपाल के दो छोटे भाई-बहन भी हैं. पांचों का परिवार चित्तूर जिले के गंगुडुपल्ले गांव में रहता है. स्कूल के घंटों के बाद लड़का लोगों को लाने-ले जाने के लिए ई-ऑटोरिक्शा चलाता है और अपने नेत्रहीन माता-पिता के लिए आपूर्ति करता है, जो चावल और स्टेपल का छोटा व्यवसाय चलाते हैं.More Related News