कानून वही, एक्शन नया... पुणे पोर्श कांड के आरोपी की रिहाई, हंगामा और फिर सिस्टम की सख्ती... 4 दिन में क्या बदल गया?
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पुणे के पोर्श कार कांड में पुलिस से लेकर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड तक हरकत में आ गया है. पुलिस ने नाबालिग आरोपी के पिता समेत होटल और बार के मालिकों को गिरफ्तार कर लिया है. वहीं, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने भी आरोपी नाबालिग की जमानत रद्द कर दी है.
पुणे के पोर्श कार कांड में चार दिन में तेजी से चीजें बदल गईं. रविवार को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी थी, लेकिन बुधवार को उसकी जमानत रद्द कर दी गई. बुधवार को ही आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को कोर्ट ने दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया.
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को यरवदा के बाल सुधार गृह में 5 जून तक भेज दिया है. इस सुधार गृह में 30 से ज्यादा नाबालिग हैं. पुलिस ने बताया कि इस दौरान आरोपी का साइकोलॉजिकल टेस्ट भी किया जाएगा.
वहीं, आरोपी के वकील प्रशांत पाटिल ने न्यूज एजेंसी को बताया कि जस्टिस बोर्ड ने जमानत रद्द नहीं की है, बल्कि अपने पिछले आदेश में ही संशोधन किया है. उन्होंने दावा किया कि जमानत रद्द करने का मतलब होता कि आरोपी को हिरासत में लेना, लेकिन बोर्ड ने उसे सुधार गृह में भेजने का आदेश दिया है.
4 दिन में कितना बदल गया केस?
- एक्सीडेंटः 19 मई के तड़के पौन तीन बजे पोर्श कार चला रहे नाबालिग आरोपी ने बाइक सवार अनीष अवधिया और अश्विनी कोस्टा को पीछे से टक्कर मार दी. इसमें दोनों की मौत हो गई. दुर्घटना के वक्त नाबालिग आरोपी ने कथित तौर पर शराब पी रखी थी और वो पार्टी से लौट रहा था. ये एक्सीडेंट पुणे के कल्याणी नगर इलाके में हुआ था.
- गिरफ्तारी और जमानतः पुलिस ने उसी दिन नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. वो 17 साल का है. उसी दिन जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी थी. इन शर्तों में 300 शब्दों का निबंध लिखना भी शामिल था. इसके साथ ही कोर्ट ने उसे आरटीओ जाकर ट्रैफिक रूल्स समझने को भी कहा था.
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