ओम शांति ओम के 15 साल: फराह के लिए मंदाकिनी बनने को तैयार थे शाहरुख खान, लेकिन बॉडी देखकर क्यों आने लगीं उल्टियां
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'ओम शांति ओम' के गाने 'दर्द-ए-डिस्को' में शाहरुख खान के 6-पैक ऐब्स देखकर आज भी उनके चाहने वालों को कुछ कुछ होता है, जिसे शायद आम पब्लिक नहीं समझेगी! लेकिन इधर गाने के शूट के लिए इधर शाहरुख शर्ट उतारते थे, उधर डायरेक्टर फराह खान को उल्टी आ जाती थी. फिल्म को 15 साल होने पर, आइए बताते हैं इस गाने की दिलचस्प बातें.
फिल्म इंडस्ट्री में शाहरुख खान के सबसे करीबी दोस्तों में से एक, मशहूर कोरियोग्राफर फराह खान, 2004 में फिल्म 'मैं हूं न' से डायरेक्टर बन गई थीं. पहली फिल्म में उन्होंने अपने दोस्त को हीरो लिया था, और शाहरुख को एक ऐसी हिट फिल्म मिली, जो एक नई जेनरेशन के लिए उनकी सबसे पॉपुलर फिल्मों में से एक बन गई.
अब बारी थी उनके दूसरे प्रोजेक्ट 'हैप्पी न्यू ईयर' की. रिपोर्ट्स आईं कि इसमें भी शाहरुख हीरो होने वाले हैं. मगर शाहरुख ने तो फराह की स्क्रिप्ट का पहला ड्राफ्ट ही रिजेक्ट कर दिया. इसके बाद फराह उनके पास एक नई कहानी लेकर पहुंचीं, जो उन्हें लंदन में एक म्यूजिकल देखकर सूझी थी. एक इंटरव्यू में फराह ने बताया कि उन्हें लगा उस म्यूजिकल में बॉलीवुड का एक बहुत आउटडेटेड वर्जन दिखाया गया है.
फराह ने इस नई कहानी में 70s का फिल्मी दौर दिखाने का सोचा, क्योंकि उनके हिसाब से इस दौर में बनी फिल्में लोगों को बहुत प्रभावित करने वाली थीं. नई कहानी का टाइटल था 'ओम शांति ओम'. हालांकि बाद में 'हैप्पी न्यू ईयर' भी बनी, लेकिन आज बात करते हैं 9 नवंबर 2007 को रिलीज हुई 'ओम शांति ओम' की.
एक बेहतरीन म्यूजिक एल्बम और 'दर्द-ए-डिस्को' बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन म्यूजिक कम्पोजर्स में से एक, विशाल-शेखर की जोड़ी ने 'ओम शांति ओम' के गाने बनाए और लिरिक्स लिखे जावेद अख्तर ने. हालांकि, केके के गाए 'आंखों में तेरी' के लिरिक्स कम्पोजर विशाल ददलानी ने खुद लिखे, जिसके लिए उन्हें 'बेस्ट लिरिसिस्ट' का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला. मगर उस साल ये अवार्ड दो लोगों को एकसाथ दिया गया. 'ओम शांति ओम' के 'मैं अगर कहूं' के लिए ही जावेद साहब को भी विशाल के साथ अवार्ड दिया.
इन्हीं दोनों गानों के लिए केके और सोनू निगम ने भी 'बेस्ट प्लेबैक' सिंगर का अवार्ड शेयर किया. इसी फिल्म के लिए जावेद साहब का लिखा, और राहत फतेह अली खान का गाया 'जग सूना सूना लागे भी बहुत पॉपुलर हुआ. लेकिन इन तीन सदाबहार टाइप गानों के बावजूद, 'ओम शांति ओम' के जिस गाने की चर्चा सबसे ज्यादा हुई, वो था 'दर्द-ए-डिस्को'. जिसके लिरिक्स को बेतुका, अजीब और मीनिंगलेस जैसे विशेषणों से नवाजा गया. अगर आपको कोई शक हो तो फिर से कन्फर्म कर दें कि सुखविंदर सिंह के गाए 'दर्द-ए-डिस्को' के लिरिक्स भी जावेद अख्तर ने ही लिखे थे.
लोग हैरान थे कि 1999 को छोड़कर, 1996 से लेकर 2001 तक 'बेस्ट लिरिक्स' के लिए 5 नेशनल अवार्ड जीतने वाले जावेद साहब ने ये क्या लिख डाला?! हालांकि, उसी गाने में उन्होंने जिंदगी में इश्क के बीत चुके खूबसूरत दौर के लिए ये भी लिखा कि 'फ़स्ल-ए-गुल थी, गुलपोशियों का मौसम था... हम पर कभी सरगोशियों का मौसम था.' मगर 'दर्द-ए-डिस्को' का बुखार जहां युवा फैन्स के दिल पर चढ़ रहा था, वहीं समझदारी के चौकीदार लोगों के दिमाग पर. और उसपर गाने में शाहरुख की धांसू बॉडी अलग कहर ढा रही थी. जिम में घंटों लोहा गर्म करके तराशी हुई बॉडी और 6-पैक ऐब्स.