
आज अगर CM शिंदे के खिलाफ आया स्पीकर का फैसला तो क्या होगा महाराष्ट्र में सियासी गेम?
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महाराष्ट्र में स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले से पहले राजनीतिक तापमान बढ़ गया है. शिवसेना में टूट के बाद उद्धव-शिंदे कैंप ने एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिकाएं दायर की थीं. विधानसभा अध्यक्ष के फैसले से एकनाथ शिंदे सरकार और उद्धव गुट का आगे का राजनीतिक भविष्य तय होगा.
महाराष्ट्र की सियासत के लिए आज बड़ा दिन है. दल-बदल के खिलाफ अयोग्य ठहराने की याचिकाओं पर स्पीकर राहुल नार्वेकर फैसला लेंगे. एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव खेमे ने एक-दूसरे के खिलाफ अयोग्य घोषित किए जाने का नोटिस दिया था. ऐसे में दोनों ही दलों के लिए यह दिन खास है. उद्धव गुट ने पहले 16 विधायकों और बाद में 24 विधायकों के खिलाफ एक्शन की मांग की थी. इसलिए यह फैसला सभी 40 विधायकों पर लागू होगा. वहीं, शिंदे गुट ने भी अयोग्यता को चुनौती दी थी और उद्धव गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए पत्र लिखा था.
फिलहाल, आज स्पीकर का फैसला किसी एक के पक्ष में आएगा. चूंकि दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं. ऐसे में अगर शिंदे गुट योग्य ठहराया जाता है तो उद्धव खेमा अयोग्य घोषित हो जाएगा और अगर शिंदे गुट अयोग्य हो जाता है तो उद्धव गुट को योग्य मान लिया जाएगा. अयोग्य विधायकों के पद भी रद्द हो जाएंगे. कुछ ही महीने बाद राज्य में विधानसभा चुनाव हैं.
'शिंदे गुट अयोग्य हुआ तो उद्धव गुट की बढ़ेगी ताकत'
वहीं, एकनाथ शिंदे गुट को अयोग्य घोषित किए जाने की स्थिति में उद्धव खेमे की ताकत बढ़ना तय माना जा रहा है. इसका राजनीतिक लाभ भी उद्धव गुट को मिलेगा. उद्धव गुट की कोशिश रहेगी कि कुछ महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को उठाया जाए और उसके बाद विधानसभा चुनाव में भी इसी मसले के बहाने बीजेपी और शिंदे को घेरा जाए.
'तो उद्धव गुट पड़ जाएगा कमजोर!'
यदि शिंदे गुट स्पीकर की परीक्षा में पास हो गया. यानी योग्य घोषित कर दिया जाता है तो उद्धव ठाकरे गुट के पास कुछ हाथ नहीं लगेगा. चुनाव आयोग पहले ही शिंदे कैंप को असली शिवसेना बतौर चुनाव चिह्न 'तीर-कमान' सौंप चुका है. अब स्पीकर से भी निराशा हाथ लगेगी तो पार्टी के भी टूटने की आशंका है. इतना ही नहीं, आने वाले चुनाव में संगठन के सामने खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी. संभव है कि स्पीकर के फैसले के बाद कुछ विधायक भी उद्धव का साथ छोड़ सकते हैं. यह बात उद्धव ठाकरे भी जानते हैं. इसलिए उन्होंने पहले ही ऐलान कर दिया है कि स्पीकर का फैसला पक्ष में नहीं आता है तो वो सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे और विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को चुनौती देंगे.

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