
अनुसूचित जनजातियों को और 10% कोटा, OBC में 15 नई जातियां... लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले जम्मू-कश्मीर को केंद्र का तोहफा
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केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. इस बैठक में उपराज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर, मुख्य सचिव अटल डुल्लू और उपराज्यपाल के प्रधान सचिव मंदीप कुमार भंडारी शामिल थे.
लोकसभा चुनाव कार्यक्रम और आदर्श आचार संहिता की घोषणा से कुछ घंटे पहले जम्मू-कश्मीर की अनुसूचित जनजातियों को केंद्र सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है. कारण, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए अलग से 10% कोटा को मंजूरी दे दी है. इसका सीधा लाभ पहाड़ी जनजातियों- पददारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मण को मिलेगा. इन्हें हाल ही में अनुसूचित जनजाति की कैटेगिरी में शामिल किया गया था. साथ ही इस कोटा का प्रभाव गुज्जर और बकरवाल समुदायों और पहले से ही अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त अन्य लोगों को मिल रहे कोटा पर नहीं पड़ेगा. वे लोग अलग से अपने 10% कोटा का आनंद लेना जारी रखेंगे.
केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. इस बैठक में उपराज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर, मुख्य सचिव अटल डुल्लू और उपराज्यपाल के प्रधान सचिव मंदीप कुमार भंडारी शामिल थे. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बैठक में जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2023, संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश (संशोधन) अधिनियम 2024 और जम्मू-कश्मीर सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों के सरकारी आदेश और जम्मू-कश्मीर आरक्षण नियम, 2005 में संशोधन करने के लिए समाज कल्याण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
अब जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजातियों के लिए कुल कोटा 20% तक बढ़ा दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुज्जरों और बेकरवालों से वादा किया था कि उनका कोटा नहीं छीना जाएगा. भाजपा को उम्मीद है कि आगामी लोकसभा चुनाव में इसका लाभ उसे मिलेगा, क्योंकि राजौरी और पुंछ जिलों में पहाड़ियों की आबादी बहुत अधिक है. वहीं जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने ओबीसी में 15 नई जातियों को जोड़ने की भी मंजूरी दे दी है. जम्मू-कश्मीर में अब ओबीसी का कोटा बढ़ाकर 8% कर दिया गया है.
इन सिफारिशों को भी मिली मंजूरी
बैठक में एसईबीसी आयोग की सिफारिश के मुताबिक कुछ जातियों के नामकरण और पर्यायवाची शब्द में बदलाव को भी मंजूरी दे दी गई है. इसके अलावा दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के अनुरूप नियमों में जहां भी शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति या विकलांग शब्द आता है, उसे दिव्यांग शब्द से बदलने की भी मंजूरी दी गई है. ये सभी मांगें लंबे समय से स्थानीय लोग करते आ रहे थे.
इसी साल विधानसभा में बिला हुआ था पारित

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