
अढ़ाई दिन का झोपड़ा फिर सुर्खियों में आया, BJP सांसद रामचरण का दावा- कभी यह था संस्कृत विद्यालय
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अजमेर स्थित ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ बीजेपी सांसद रामचरण बोहरा के बयान के बाद से चर्चा में है. बोहरा ने कहा है कि “अढाई दिन के झोपड़े को बनाने के लिए वहां मौजूद संस्कृत विद्यालय को तोड़ा गया था. अब वो दिन दूर नहीं जब एक बार फिर से यहां संस्कृत के मंत्र गूंजेंगे.” इस मामले में इतिहास के जानकार हरीश बैरी ने प्रकाश डाला है. वीडियो में देखिए उन्होंने क्या कहा.
अजमेर स्थित ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. दरअसल, बीजेपी सांसद रामचरण बोहरा ने कहा है कि “अढाई दिन के झोपड़े को बनाने के लिए वहां मौजूद संस्कृत विद्यालय को तोड़ा गया था. अब वो दिन दूर नहीं जब एक बार फिर से यहां संस्कृत के मंत्र गूंजेंगे.”
बताते चलें कि अजमेर स्थित अढ़ाई दिन का झोपड़ा करीब 800 साल पुरानी मस्जिद है. इसका इतिहास काफी विवादास्पद माना जाता है. कुछ इतिहासकारों का कहना है कि इस इमारत की जगह पहले एक संस्कृत कॉलेज हुआ करता था.
अफगान शासक मोहम्मद गोरी ने जब 12वीं सदी में भारत पर हमला किया, तो वह घूमते हुए यहां आ निकला. उसी के आदेश पर उसके सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने संस्कृत कॉलेज को तुड़वाकर उसकी जगह मस्जिद बनवा दी थी.
देखें वीडियो...
इसलिए नाम पड़ा अढाई दिन का झोपड़ा
मोहम्मद गोरी ने इस मस्जिद को बनवाने के लिए अपने सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक को ढाई दिन का समय दिया था. इसे कारीगरों ने मिलकर 60 घंटे में ही बनाकर तैयार कर दिया. बताया जाता है कि तय समय में मस्जिद को बनाने के लिए कारीगरों ने बिना रुके और बिना थके ढाई दिन तक काम किया. इसी वजह से इस मस्जिद को ‘अढाई दिन का झोपड़ा’ कहा जाने लगा.

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