अखिलेश का वार, योगी का अवतार... 'बुलडोजर बाबा' ने ऐसे फिर जीत लिया यूपी!
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किसी को ये अनुमान नहीं था कि उत्तर प्रदेश चुनाव में बुलडोजर एक अहम किरदार बन जाएगा. जैसे-जैसे चुनावी रैलियां वर्चुअल से फिजिकल हुईं. बुलडोजर भी रंग दिखाने लगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 'बुलडोजर बाबा' कहलाने लगे.
उत्तर प्रदेश के चुनाव में पक्ष-विपक्ष के नेताओं की खूब चर्चा हुई, रैलियां भी खूब हुईं. लेकिन महफिल तो बुलडोजर (Bulldozer) ही लूट रहा था. चर्चा इतनी तेज हुई कि चुनावी सभाओं में बुलडोजरों की प्रदर्शनी लगने लगी. वैसे भी हमारे देश में बुलडोजर भीड़ जुटाऊ हथकंडा है. कहीं भी बुलडोजर चले, रुककर देखने वालों की कमी नहीं होती.
लेकिन किसी को ये अनुमान नहीं था कि उत्तर प्रदेश चुनाव में बुलडोजर एक अहम किरदार बन जाएगा. जैसे-जैसे चुनावी रैलियां वर्चुअल से फिजिकल हुईं. बुलडोजर भी रंग दिखाने लगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 'बुलडोजर बाबा' कहलाने लगे. उन्होंने भी इसपर ऐतराज नहीं जताया, और इसे 'सुशासन' की उपाधि मानकर भुनाने लगे.
चुनाव प्रचारों में बुलडोजर रंग
महराजगंज जिले के निचलौल में CM योगी की जनसभा में बुलडोजर लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया. गेरुआ रंग के बुलडोजर पर भीड़ की निगाहें टिक गईं. जब योगी मंच पर पहुंचे तो उन्होंने भी बुलडोजर का जिक्र छेड़ दिया. कहने लगे, बुलडोजर हाइवे भी बनाता है, बाढ़ रोकने का काम भी करता है. साथ ही माफियाओं से अवैध कब्जे को भी मुक्त कराता है.
यही नहीं, सुल्तानपुर की एक रैली में तो बुलडोजरों को सजा-धजा कर खड़ा किया गया था. यहां भी CM योगी आने वाले थे. इस रैली में 'बाबा का बुलडोजर' नाम से बैनर भी लगाए गए. यानी इस तस्वीर से साफ हो गई थी कि CM योगी को 'बुलडोजर बाबा' कहलाने से कोई गुरेज नहीं है. फिर तो खुद CM योगी लगभग हर रैली में बुलडोजर का जिक्र किए बिना नहीं रह सके. इसकी तस्दीक उस समय हुई जब योगी का एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें वह कहते दिखाई दे रहे थे कि देखिए मेरी सभा में बुलडोजर खडे़ हैं.
जब CM योगी बन गए बुलडोजर बाबा
कल चुनाव नतीजे आने के बाद दोनों गठबंधन यानि NDA और INDIA सरकार बनाने का दावा पेश कर रहे हैं. हालांकि नतीजों में NDA ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है और अगर कोई सहयोगी दल टूटता नहीं है तो तीसरी बार भी मोदी की सरकार की बनेगी. इन सब से पहले आज दिल्ली में एनडीए और सहयोगी दल की बैठक जारी है. इस बैठक में नरेंद्र मोदी समेत सहयोगी दलों के तमाम नेता शामिल हुए हैं.
लोकसभा चुनाव नतीजों के बीच कुछ नेता ऐसे रहे जिन्होंने 'न जीतूंगा न जीतने दूंगा' के नारे को साकार कर दिखाया. राजस्थान की बाड़मेर सीट से रवींद्र सिंह भाटी, बिहार की सिवान लोकसभा सीट से हीना शहाब, और बिहार की ही काराकाट से पवन सिंह भले ही चुनाव में हार गए लेकिन इन तीनों ने अपनी-अपनी सीटों पर दूसरें दलों के नेताओं का खेल जरूर खराब कर दिया.