
'अंग्रेजों ने नहीं, भारतीय सैनिकों ने हमें दिलाई आजादी...', हाइफा मेयर बोले- स्कूलों में बदलेंगे सिलेबस
AajTak
इस मौके पर इजरायल में भारत के राजदूत जेपी सिंह ने कहा कि उस युद्ध को एकमात्र ऐसा अवसर बताया गया जब किसी किलेबंद शहर पर घुड़सवार सेना ने तेजी से कब्जा किया था. उन्होंने बताया कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 74,000 से ज़्यादा भारतीय सैनिकों ने अपनी कुर्बानी दी, जिनमें से 4,000 से ज़्यादा वेस्ट एशिया में शहीद हुए थे.
ब्रिटिश काल में भारतीय सैनिक अंग्रेजों की तरफ से लड़ते थे, लेकिन जीत का श्रेय हमेशा ब्रिटिश आर्मी को दिया जाता था. लेकिन अब इजरायल के शहर हाइफा ने अपनी आजादी में योगदान देने के लिए भारतीय सैनिकों के योगदान को सराहा है. हाइफा में सोमवार को शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. यहां के मेयर ने कहा कि शहर के स्कूलों में इतिहास की किताबों में यह बदलाव किया जा रहा है कि शहर को ओटोमन शासन से आजाद कराने वाले ब्रिटिश नहीं बल्कि भारतीय सैनिक थे.
'हमें गलत इतिहास पढ़ाया गया'
हाइफा के मेयर योना याहाव ने कहा, 'मैं इसी शहर में पैदा हुआ और यहीं से ग्रेजुएट हुआ. हमें लगातार यही बताया जाता था कि इस शहर को अंग्रेजों ने आज़ाद कराया था, जब तक कि एक दिन हिस्टोरिकल सोसाइटी के एक व्यक्ति ने मेरे दरवाज़े पर दस्तक नहीं दी और कहा कि उन्होंने गहरी रिसर्च की है और पाया है कि अंग्रेजों ने नहीं, बल्कि भारतीयों ने इस शहर को ओटोमन साम्राज्य से आज़ाद कराया था.' इस लड़ाई को बैटल ऑफ हाइफा कहा जाता है.
ये भी पढ़ें: बैटल ऑफ हाइफा... जब हिंदुस्तानी तलवारों के आगे मौन हो गईं तुर्क बंदूकें
याहाव ने कहा कि हर स्कूल में हम सिलेबस बदल रहे हैं और कह रहे हैं कि अंग्रेजों ने नहीं, बल्कि भारतीयों ने हमें आजाद कराया. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, भालों और तलवारों से लैस भारतीय घुड़सवार रेजिमेंटों ने तमाम मुश्किलों के बावजूद माउंट कार्मेल की चट्टानी ढलानों से ओटोमन सेनाओं को खदेड़कर शहर को आजाद कराया, जिसे ज्यादातर युद्ध इतिहासकार 'इतिहास का अंतिम महान घुड़सवार अभियान' मानते हैं.
मेयर याहाव ने 2009 में इसी जगह पर आयोजित पहले समारोह के दौरान कहा था कि हाइफा के इतिहास के सिलेबस में भारतीय सैनिकों के बलिदान की कहानी शामिल की जाएगी और आज यह शहर के युवाओं के बीच प्रसिद्ध है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.






