UP सरकार के 6 महीने पूरे, फिर भी मीडिया से क्यों दूरी बना रहे हैं CM योगी?
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उत्तर प्रदेश सरकार के 6 महीने पूरे हो गए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद को मीडिया की सुर्खियों से दूर रखा है. योगी के करीबी और जानकार बताते हैं कि इस बार मुख्यमंत्री की रणनीति कुछ अलग है, वह अपने काम को खुद से बताने की बजाय सरकार के विभिन्न साधनों और तंत्र के जरिए लोगों तक पहुंचा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार के 6 महीने पूरे हो गए हैं, लेकिन इस बार लखनऊ में न कोई शोर है और न ही कोई हल्ला. इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन 6 महीने में एक नए तरीके से खुद को पेश किया. कोई इंटरव्यू नहीं, न कोई बातचीत. इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय का कहना है कि सीएम योगी ने सिर्फ काम पर ध्यान केंद्रित रखा है.
इन 6 महीने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पिछले कार्यकाल के काम को आगे बढ़ाया है. लखनऊ से ज्यादा वो उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों और इलाकों में घूमते नजर आए. इस दौरान भी सीएम योगी ने किसी भी मीडिया संस्थान से कोई बात नहीं की. यहां तक की मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद भी योगी आदित्यनाथ ने इंटरव्यू देने से परहेज किया.
यानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद को मीडिया की सुर्खियों से दूर रखा है. योगी के करीबी और जानकार बताते हैं कि इस बार मुख्यमंत्री की रणनीति कुछ अलग है, वह अपने काम को खुद से बताने की बजाय सरकार के विभिन्न साधनों और तंत्र के जरिए लोगों तक पहुंचा रहे हैं और खुद को प्रचार से दूर रख रहे हैं.
हालांकि मुख्यमंत्री का मीडिया संभाल रहे लोगों ने 6 महीने पूरे होने पर उनकी प्रेस वार्ता अलग-अलग मीडिया संस्थानों से के साथ उनके इंटरव्यू आदि की प्लानिंग कर रखी थी, लेकिन फिलहाल सीएम योगी ने उसे भी मना कर दिया. आखिर वह कौन सी वजह है कि मुख्यमंत्री ने अपने 100 बड़े काम लिस्ट तो मीडिया तक पहुंचा दी लेकिन खुद अपने दूसरे कार्यकाल पर बोलने से परहेज कर रहे हैं?
मीडिया से नहीं बात करने का फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अपना है. कब बात करेंगे? इस पर फैसला भी वह खुद लेंगे लेकिन एक बात साफ दिखती है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कतई नहीं चाहते कि उनके किसी मुद्दे के लिए उन्हें दिल्ली दरबार की तरफ देखना पड़े और मीडिया इंटरव्यू उन्हीं में से एक मुद्दा है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जबसे मुख्यमंत्री बने हैं तभी से उन्होंने कोई इंटरव्यू नहीं दिया. सूत्रों के माने तो केंद्र के साथ कई मुद्दों पर उनकी असहमति है जो कि फिलहाल उनके मौन में समाहित है. दरअसल. योगी 2.0 के गठन में मंत्रिमंडल बनने से लेकर प्रशासनिक फेरबदल तक लखनऊ और दिल्ली दरबार के बीच एक ऐसी असहमति दिखाई दी है, जो चर्चाओं में है.
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