Ukraine Russia crisis: यूक्रेन में फंसे भारतीयों का वापस लाने का क्या प्लान है? विपक्ष के सरकार से तीखे सवाल
AajTak
यूक्रेन में फंसे (Indians in Ukraine) भारतीयों की वतन वापसी कैसे हो, इस सवाल को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है. मांग की जा रही है कि जल्द से जल्द प्राथमिकता के आधार पर वहां फंसे सभी भारतीयों को वापस देश लाया जाए.
यूक्रेन और रूस के बीच तनाव कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा है. युद्ध शुरू नहीं हुआ है लेकिन आशंका लगातार बनी हुई है. इसी वजह से अब कीव स्थित भारतीय दूतावास ने एक एडवाइजरी जारी कर सभी भारतीय नागरिकों और छात्रों को यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी है. ये भी कहा गया है कि ये लोग चार्टर उड़ानों का इस्तेमाल कर सकते हैं. I hope they are being evacuated rather than being asked and I am hoping so are the Indians in Ukraine. Just asking them to get on a charter or available flights is doing a huge disservice to our citizens with prices sky high. Have raised it earlier, raising it again @MEAIndia https://t.co/RtLg4wMlqv
जर्मनी से 35 दिन बाद वापस लौटने पर जेडीएस के निष्कासित सांसद रेवन्ना को बेंगलुरु एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया गया था. कर्नाटक पुलिस की एसआईटी ने कोर्ट से रेवन्ना की 14 दिनों की कस्टडी की मांग की थी. दोनों पक्षों की तरफ से अपनी-अपनी दलीलें दी गईं. लंबी-चौड़ी दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने रेवन्ना को 6 जून तक SIT हिरासत में भेज दिया है.
असम में चक्रवात रेमल के बाद लगातार बारिश के कारण 9 जिलों में बाढ़ की स्थिति से दो लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. 28 मई से राज्य में बाढ़, बारिश और तूफान में कुल मिलाकर छह लोगों की मौत हो गई है. वहीं मणिपुर का राजभवन भी बाढ़ के पानी से लबालब हो चुका है. अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि चक्रवात रेमल के बाद पिछले कुछ दिनों में हुई मूसलाधार बारिश के कारण मणिपुर के राजभवन में जलभराव हो गया है.
बार और रेस्टोरेंट्स की ओर से पेश वकील वीना थडानी ने तत्काल सुनवाई के लिए याचिकाओं का उल्लेख किया और कहा कि पुणे में हुई घटना के बाद से कुछ दस्तावेज प्रस्तुत न करने जैसे मामूली मुद्दों पर बार और रेस्टोरेंट्स के लाइसेंस निलंबित किए जा रहे हैं. थडानी ने कहा कि इन प्रतिष्ठानों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने हाल ही में एक बयान दिया है कि उन्होंने धर्म के आधार पर आरक्षण की समीक्षा करने की बात कही है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर कहीं भी संविधान विरुद्ध कोई कार्य हो रहा है, तो उसकी समीक्षा की जाएगी. उन्होंने कहा कि ओबीसी के आरक्षण का लाभ ले रहे मुस्लिमों की समीक्षा करेंगे. यह बयान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की ओर से आरक्षण प्रणाली के बारे में एक महत्वपूर्ण बयान है.