SatyaPrem Ki Katha Review: गंभीर मुद्दे से जूझती कार्तिक-कियारा की फिल्म में नहीं दम, केमिस्ट्री ने बचाई लाज
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कार्तिक आर्यन और कियारा आडवाणी की जोड़ी फिल्म 'सत्यप्रेम की कथा' के साथ एक बार फिर सिनेमाघरों में आ गई है. इस फिल्म को लेकर फैंस काफी एक्ससाइटमेंट है. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि क्या है इसमें खास और क्या हैं इसकी कमियां. पढ़ें हमारा रिव्यू.
'भूल भुलैया 2' के साथ कमाल करने के बाद एक बार फिर कार्तिक आर्यन और कियारा आडवाणी की जोड़ी बड़े पर्दे पर लौट आई है. दोनों की फिल्म 'सत्यप्रेम की कथा' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. इसे लेकर फैंस के बीच काफी एक्ससाइटमेंट थी. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि क्या है इसमें खास और क्या हैं इसकी कमियां. पढ़ें हमारा रिव्यू.
क्या है फिल्म की कहानी?
ये कहानी है सत्यप्रेम उर्फ सत्तू (कार्तिक आर्यन) की, जो शादी करने को बेताब है. सत्तू अपनी जिंदगी में घर के काम के अलावा कुछ नहीं करता. बर्तन धोना, खाना बनाना, पोछा लगाना जैसी चीजें सत्तू अपने घर पर रोज करता है. वो वकील बनना चाहता था लेकिन एग्जाम में पास नहीं हो पाया तो घर पर खाली बैठा है. सत्यप्रेम के पिता नारायण (गजराज राव) भी बेरोजगार हैं. उन्होंने तीन बिजनेस में पैसे लगाए थे, लेकिन फेल हो गए. ऐसे में सत्तू की मां दिवाली (सुप्रिया पाठक) और बहन सेजल (शिखा तलसानिया) डांस क्लासेज देकर अपना घर चलाती हैं.
सत्तू का सपना अपना घर बसाना है. उसके दोस्त-यार और पड़ोसियों की एक के बाद एक शादी हो रही है. ऐसे में बेचारा कंवारा सत्तू जलन के बारे कुढ़ता चला जा रहा है. रोज वो मां की डांट खाता है और बहन के ताने. लेकिन सत्तू के पापा उसके बेस्ट फ्रेंड हैं. वो हर कदम पर बेटे का साथ देते हैं. सत्तू को कथा (कियारा आडवाणी) नाम की एक लड़की पर क्रश है. कथा एक साल पहले उसे गरबा नाइट में मिली थी और पसंद आ गई.
किसी तरह सत्यप्रेम और कथा की शादी हो जाती है. लेकिन शादी के बाद भी दोनों के बीच दूरी है. कथा अपने दिल में ऐसा राज दबाए है, जो उससे जुड़े हर इंसान की जिंदगी पर गहरा असर डाल सकता है. ऐसे में जब सत्तू को कथा का सीक्रेट पता चलता है तो वो उसकी मदद करने का फैसला करता है. सत्तू कहता है कि की कथा को अपनी कहानी का हीरो खुद बनना पड़ेगा और वो सपोर्टिंग एक्टर की तरह उसका साथ देगा.
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