
OMG 2 के बहाने जानिए सेंसर बोर्ड फिल्मों को सर्टिफिकेट किस आधार पर देता है!
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'ओएमजी 2' (OMG 2) सबसे ज्यादा कमाई करने वाली चौथी एडल्ट फिल्म बन गई है. फिल्म को जब A सर्टिफिकेट दिया गया, तो मेकर्स बहुत ज्यादा निराशा हुए थे. लेकिन अब फिल्म की कमाई खुश हैं. आइए OMG 2 के बहाने ये जानते हैं कि सेंसर बोर्ड किसी फिल्म को कोई सर्टिफिकेट किस आधार पर देता है.
कोई भी निर्माता, निर्देशक या अभिनेता नहीं चाहता कि उसकी फिल्म को एडल्ट सर्टिफिकेट मिले. इसकी वजह साफ है कि फिल्म के दर्शकों की संख्या सीमित हो जाती है. इसी कारण जब फिल्म 'ओएमजी 2' को जो ए सर्टिफिकेट दिया गया तो इसके मेकर्स बहुत निराश हुए. फिल्म के कलाकारों को भी लगा कि उनके साथ नाइंसाफी हुई है. फिल्म में अहम किरदार निभा रहे अभिनेता अक्षय कुमार तो हैरान रह गए. उन्होंने कहा भी था, ''कमाल की बात है. ये पहली एडल्ट फिल्म है, जो टीनएजर्स के लिए बनी है. वास्तव में इस फिल्म को स्कूल में दिखाना चाहिए.'' लेकिन ए सर्टिफिकेट मिलने का मतलब ये कि 'ओएमजी 2' 18 साल से कम उम्र के लोग नहीं देख सकते.
दरअसल, 'ओएमजी 2' को लेकर बहुत विरोध था. रिलीज से पहले धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगा. ट्रेलर रिलीज के बाद तो कई हिंदू संगठनों ने फिल्म को बैन करने की मांग तक कर डाली. सोशल मीडिया पर तो लोगों ने सेंसर बोर्ड को भी निशाने पर ले लिया. घबड़ाए हुए सेंसर बोर्ड ने आनन-फानन में फिल्म को रिव्यू कमेटी के पास भेज दिया. लोगों का इतना दबाव था कि अपनी फजीहत होने के डर से सेंसर बोर्ड ने फिल्म को एडल्ट सर्टिफिकेट दे दिया. सिनेमेटोग्राफ एक्ट 1952 के तहत ए सर्टिफिकेट उन्हीं फिल्मों को दिया जाता है, जिनमें बहुत अधिक हिंसा, यौन दृश्य, अपमानजनक भाषा, गाली-गलौच और नग्नता हो, जबकि 'ओएमजी 2' में ऐसा नहीं है.
फिल्मों को इतने तरह के सर्टिफिकेट दिए जाते हैं
अपने देश में फिल्मों को चार तरह के सर्टिफिकेट दिए जाते हैं. सर्टिफिकेट देने का काम केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) करता है. इस बोर्ड के सदस्यों की अनुशंसा पर चेयरमैन सर्टिफिकेट जारी करता है. इस प्रक्रिया के पहले चरण में फिल्म मेकर्स सेंसर बोर्ड में अर्जी देते हैं. इसके बाद सेंसर बोर्ड के सदस्य फिल्म को बहुत बारीकी से देखते हैं. सेंसर बोर्ड की कसौटी पर पूरी फिल्म को कसते है. जरूरी बदलाव करवाते हैं. उसके बाद फिल्म की प्रकृति के हिसाब से सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है.
ज्यादातर फिल्म मेकर्स चाहते हैं कि उनकी फिल्मों को U सर्टिफिकेट मिले, क्योंकि ऐसी फिल्म हर कोई देख सकता है. किसी तरह की उम्र की बाध्यता नहीं होती है. इस तरह एक बड़ा दर्शक वर्ग फिल्म को मिल जाता है. यदि फिल्म अच्छी बन पड़ी तो बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई होने की संभावना बनती है. फिल्म के लिए सर्टिफिकेट पाने की प्रक्रिया अब आसान हो गई है, वरना पहले एजेंटों के जरिए मोटा कमीशन देने के बाद भी फिल्म मेकर्स को सेंसर बोर्ड के चक्कर लगाने पड़ते थे. U सर्टिफिकेट:- यहां यू का मतलब यूनिवर्सल है. यह सर्टिफिकेट उन फिल्मों को दिया जाता है, जो कि परिवार के अनुकूल होती हैं. इनका सार्वजनिक प्रदर्शन बिना किसी प्रतिबंध के किया जा सकता है. इन फिल्मों में शिक्षा, परिवार, ड्रामा, रोमांस, साई-फाई और एक्शन जैसे विषय शामिल होते हैं. ऐसी फिल्मों में हल्की हिंसा भी होती है, लेकिन उसका महिमामंडन नहीं होता. हल्के यौन दृश्य भी होते हैं, लेकिन वो नग्नता को बढ़ावा नहीं देते. कुल मिलाकर पूरा परिवार एक साथ ऐसी फिल्म देख सकता है.
उदाहरण के लिए अक्षय कुमार की फिल्म 'रक्षा बंधन', इरफान खान की फिल्म 'हिंदी मीडियम', रणवीर सिंह की फिल्म 83, कंगना रनौत की फिल्म थलाइवी, विद्या बालन की फिल्म शेरनी और परिणिती चोपड़ा की फिल्म साइना को यू सर्टिफिकेट मिल चुका है.













